OBC Category: दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में बुधवार (24 अप्रैल, 2024) को मुसलमानों को लेकर बड़ा फैसला किया गया है. वहां सभी मुस्लिमों को पिछड़ी जाति यानी कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तौर पर वर्गीकृत किया गया है.
कर्नाटक पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की ओर से पेश किए गए डेटा के मुताबिक, मुस्लिमों की सभी जातियों और समुदायों को पिछड़े वर्गों की राज्य सूची में श्रेणी IIबी के तहत सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के रूप में लिस्ट किया गया है.
यह कैसे होता और इसकी प्रक्रिया (किसी समुदाय या फिर जाति को पिछड़े वर्ग में शामिल करने की) क्या होती है? आइए, जानते हैं इसी बारे में:
किसी भी समुदाय या जाति को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने के लिए कुछ पैमाने होते हैं. सबसे अहम बात यह है कि उस समुदाय/जाति को सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से बेहद पिछड़ा होना चाहिए. अगर वह काफी समय से इन सब मोर्चों पर पीछे हैं तब वे पिछड़ा वर्ग में वर्गीकृत किए जाने के लिए योग्य माने जाएंगे. सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से काफी पिछड़े हुए इस समुदाय या जाति का अगर सरकारी पदों और सेवाओं में अधिक प्रतिनिधित्व नहीं है तब वे ओबीसी माने जा सकते हैं.
NCBC ही निभाता है मुख्य भूमिका
ओबीसी की सूची में फेरबदल के लिए रजिस्ट्रार जनरल की मंजूरी के लिए इंतजार नहीं किया जाता है. यहां एनबीसीसी ही मुख्य भूमिका निभाता है. मंडल आयोग के मुताबिक, सामाजिक-शैक्षणिक और आर्थिक मानदंडों के आधार पर एनसीबीसी इस पर विचार करता है और केंद्र को सिफारिशें भेजता है.
केंद्र सरकार और राष्ट्रपति देते हैं मंजूरी
एनसीबीसी कानून 1993 के मुताबिक, सूची में जातियों की प्रक्रिया के तहत आयोग एक बेंच बनाती है, जो कि उससे जुड़ी सभी गुजारिशों पर विचार करती है. आगे वह केंद्र सरकार को सिफारिशें बढ़ाती है, जिसके बाद केंद्र सरकार इस पर मंजूरी देता है और लिस्ट में फेरबदल को अमली-जामा पहनाने के लिए कानून में अनिवार्य संशोधन करती है. अंत में इस परिवर्तन को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलती है.
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