(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
OTT प्लेटफॉर्म के कंटेंट के लिए भी बने रिलीज से पहले सर्टिफिकेशन की व्यवस्था, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई याचिका
Supreme Court: याचिकाकर्ता ने कहा है कि सरकार ने 2021 में आईटी गाइडलाइंस बनाया, लेकिन इसका कोई असर OTT पर नहीं पड़ा. इससे ड्रग्स के सेवन और जुआ जैसी बुराइयों को प्रोत्साहन मिलने की बात कही गई.
ओटीटी (OTT) प्लेटफॉर्म पर निगरानी और नियंत्रण के लिए को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है. याचिका में OTT और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के लिए एक स्वायत्त रेगुलेटरी बोर्ड बनाने की मांग की गई है. वकील शशांक शेखर झा की याचिका में कहा गया है कि भारत मे फिल्मों के सर्टिफिकेशन केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानी CBFC करता है, लेकिन OTT के कार्यक्रम को देख कर उन्हें प्रदर्शन का सर्टिफिकेट देने की कोई व्यवस्था नहीं है.
CBRMOBC के गठन की मांग की गई थी
याचिकाकर्ता ने 2020 में भी इस मसले पर याचिका दाखिल की थी, जो अब तक लंबित है. उस याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट सरकार को सेंट्रल बोर्ड फ़ॉर रेग्युलेशन एंड मॉनिटरिंग ऑफ ऑनलाइन वीडियो कंटेंट्स (CBRMOBC) नाम की एक स्वायत्त संस्था के गठन का आदेश दे. इसकी अध्यक्षता सचिव स्तर के वरिष्ठ IAS अधिकारी करें. बोर्ड में सिनेमा और वीडियो कार्यक्रम निर्माण से जुड़े लोगों, शिक्षाविद, कानूनविद और रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों का भी उचित प्रतिनिधित्व रखा जाए.
गाइडलाइन के बाद भी OTT पर असर नहीं
याचिकाकर्ता ने कहा है कि सरकार ने 2021 में आईटी गाइडलाइंस बनाया, लेकिन इसका कोई असर OTT पर नहीं पड़ा. ओटीटी प्लेटफॉर्म नियमों की कमी का फायदा उठाकर बेरोकटोक विवादित सामग्री दिखाते रहते हैं. OTT पर हिंसा, अश्लीलता और अभद्र भाषा से भरे शो धड़ल्ले से दिखाए जा रहे हैं. इसका असर राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी पड़ता है. साथ ही, ड्रग्स के सेवन और जुआ जैसी बुराइयों को भी प्रोत्साहन मिलता है.
इस मामले पर कई याचिकाएं पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं. कोर्ट भी कई बार इस विषय पर टिप्पणी कर चुका है. 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि न तो सरकार ने OTT की सामग्री पर निगरानी की उचित व्यवस्था बनाई है, न ही ऐसे नियम बनाए हैं, जिनमें गलत सामग्री के लिए जुर्माना लगाने या मुकदमा चलाने जैसे प्रावधान हों.
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