Prime Video, Netflix नहीं दिखा पाएंगे आपत्तिजनक फिल्में, सूचना प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाया गया
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मार्च 2019 तक ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंट प्लेटफॉर्म करीब 500 करोड़ रुपये का था जो ऐसा अनुमान है कि यह 2025 तक बढ़कर 4 हजार करोड़ का बाजार हो जाएगा. 2019 के आखिर तक ओटीटी प्लेटफॉर्म पर 17 करोड़ यूजर्स थे.
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नेटफ्लिक्स, अमेजन के प्राइम वीडियो और हॉट स्टार जैसे वीडियो स्ट्रीमिंग ओवर-द-टॉप यानी ओटीटी प्लेटफॉर्म अब आपत्तिजनक फिल्मों को नहीं दिखा पाएंगे. ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर केन्द्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए इसे सूचना प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लेकर आ गई है. इससे पहले, यह प्लेटफॉर्म इलेक्ट्रोनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी के अंदर था.
ओटीटी का कितना बड़ा है बाजार?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मार्च 2019 तक ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंट प्लेटफॉर्म करीब 500 करोड़ रुपये का था, जिसके बारे में ऐसा अनुमान है कि यह 2025 तक बढ़कर 4 हजार करोड़ का बाजार हो जाएगा. 2019 के आखिर तक ओटीटी प्लेटफॉर्म पर 17 करोड़ यूजर्स थे.
ओटीटी पर सरकार के फैसला का क्या होगा असर?
ओटीटी प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन कंटेंट को लेकर केन्द्र की तरफ से लिए गए ताजा फैसले के बाद किसी भी शॉर्ट मूवीज या वेब सीरिज को चलाने के लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय से सार्टिफिकेशन और मंजूरी लेनी होगी. ऐसे में इस बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि इस वक्त जो ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट हैं उन्हें सार्टिफिकेशन बोर्ड ऑफ इंडिया की तरफ सेंसर किया जा सकता है.
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ऐसे किसी भी सेंसर के फैसले के खिलाफ अपनी आपत्ति जता सकते हैं क्योंकि वे प्राय: ऐसी फिल्में या डॉक्यूमेंट्री बनातें हैं जो राजनीतिक तौर पर संवेदनशील लेकिन महत्वपूर्ण विषय होता है. इसके साथ ही, यह भी देखना होगा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने के लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय की तरफ से क्या गाइडलाइन्स जारी की जाती हैं.
ओटीटी प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने के लिए है क्या कानून?
भारत में अभी तक ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने के लिए कोई कानून नहीं है, क्योंकि यह मनोरंजन का नया माध्यम है. टेलीविजन, प्रिंट या रेडियो जिनके लिए सरकार की तरफ से गाइडलाइन्स जारी की गई हैं, इसके विपरीत ओटीटी प्लेटफॉर्म, डिजिटल मीडिया या सोशल मीडिया के लिए कंटेंट पर किसी तरह की कोई रेगुरेशन नहीं है और वे सब्सक्रिप्शन दरों पर एडल्ट मूवीज और अन्य चीजों को दिखा रहे हैं.
भारत में ऐसे प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने को लेकर काफी बहस और चर्चा हुई। इन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध कंटेंट को रेगुलेट करने के भारी दबाव के बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की प्रतिनिधि संस्था 'इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया' (आईएएमएआई) ने सेल्फ रेगुलेटरी मॉडल का प्रस्ताव दिया था।
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