प्राणवायु ही बनी काल! 25 या 50 लाख नहीं, मरने वालों की संख्या का आंकड़ा हिला देगा
इनडोर और आउटडोर पॉल्यूश के कारण होने वाली गंभीर बीमारियों से हर साल दुनियाभर में लाखों मौतें होती हैं. यह लोगों में कैंसर, हार्ड डिजीज और सांस संबंधी समस्याओं को बढ़ाता है.
दिल्ली समेत कई शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक श्रेणी में है. जिस वायु में हम सांस ले रहे हैं वो दिन-पर-दिन जहरीली होती जा रही है. ये जहरीली हवा ही लोगों में गंभीर बीमारियों और मौतों का कारण बन रही है. हैरान कर देने वाली बात ये है कि इस हवा में सांस लेने से हर साल दुनियाभर में गंभीर बीमारियों के कारण लाखों लोगों की जान चली जाती है. यह जानकर और ज्यादा हैरानी होगी कि ये मौतें सिर्फ आउटडोर यानी घर के बाहर के वायु प्रदूषण से नहीं बल्कि इनडोर पॉल्यूशन से भी हुई हैं.
इनडोर पॉल्यूशन यानी घर में जो हवा सांस के जरिए हमारे अंदर जा रही है वो भी शुद्ध नहीं है. उसमें भी ऐसे प्रदूषक कण मौजूद हैं, जो लंग कैंसर, हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और सांस संबंधी समस्याओं का कारण बनते हैं. यानी अगर आप बाहर के प्रदूषण से बचने के लिए घर में ज्यादा समय बिता रहे हैं तो वहां भी आप सुरक्षित नहीं है. इसके लिए हर किसी को अपने आस-पास के वातावरण को जितना ज्यादा हो सके साफ रखने की जरूरत है. ज्यादा से ज्यादा पौधें लगाएं, घर में इनडोर प्लांट्स लगाएं और उन चीजों का इस्तेमाल कम या जरूरी न हो तो बिल्कुल ही न करें, स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं. तभी खुद को प्रदूषण से बचाया जा सकता है. आइए जानते हैं कैसे होता है आउटडोर पॉल्यूशन और इनडोर पॉल्यूशन, इनकी वजह से कितने लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं.
आउटडोर पॉल्यूशन
आउटडोर पॉल्यूशन या एंबिएंट पॉल्यूशन हेल्थ के लिए सबसे बड़ा खतरा है. वायु प्रदूषण को कम करके स्ट्रोक, हार्ट डिजीज, लंग कैंसर और अस्थमा एवं अन्य सांस संबंधी समस्याओं से बचा जा सकता है. वायु प्रदूषण के लिए ट्रांसपोर्ट, गाड़ियां, मिल्स, फैक्ट्री, जंगलों में आग लगाना, लकड़ियां जलाना और फसलों के वेस्ट को जलाने से निकलने वाला धुआं जिम्मेदार हैं. इनसे कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी खतरनाक गैसें और धुआं निकलता है, जो हवा में घुलकर उसे जहरीला बनाता है. वहीं, कपड़ा बनाने वाली फैक्ट्रियों या मिल्स में ऐसे रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनका पर्यावरण बहुत बुरा असर पड़ता है.
आउटडोर पॉल्यूशन से दुनियाभर में कितनी मौतें
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, साल 2019 तक दुनियाभर की 99 फीसदी आबादी ऐसे इलाकों में रह रही थी, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक के लिए WHO की जरूरी गाइडलाइंस को फॉलो नहीं किया जा रहा था. 2019 के आंकड़ों के मुताबिक, उस साल आउटडोर वायु प्रदूषण के कारण कुल 42 लाख मौतें हुई थीं. इनमें से 89 फीसदी मौतें उन देशों में देखी गईं, जहां लोगों की आमदनी कम या मध्यम है. वहीं, आउटडोर प्रदूषण के कारण सबसे ज्यादा दक्षिण-पूर्व एशिया और पश्चिमी पैसिफिक क्षेत्र में लोगों को जान गंवानी पड़ी है.
आउटडोर पॉल्यूशन को कैसे करें कंट्रोल
स्वच्छ परिवहन, पावर एफिशिएंट घर, एनर्जी जेनरेशन और उद्योग के लिए बेहतर नीतियों के जरिए आउटडोर पॉल्यूशन को कंट्रोल किया जा सकता है. इसके अलावा, नगरपालिका की ओर से कूड़े और कचरे का बेहतर प्रबंधन वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों को कम करेंगे.
इनडोर एयर पॉल्यूशन
चूल्हा या लकड़ी जलाकर खाना बनाने, केरोसिन से चलने वाले स्टोव पर खाना बनाने या उपले जलाकर खाना बनाने के कारण हवा में प्रदूषक कण घुल जाते हैं, जो गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं. WHO के मुताबिक, दुनियाभर में 2.4 अरब आबादी यानी पूरी दुनिया का एक तिहाई हिस्सा इसी तरह खाना बनाता है.
इनडोर पॉल्यूशन से कितनी मौतें
साल 2020 में इनडोर पॉल्यूशन के कारण 30 लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं. इनडोर पॉल्यूशन का सबसे ज्यादा असर बच्चों और महिलाओं पर ही पड़ता है. इनडोर पॉल्यूशन से भी लंग कैंसर, हार्ट डजीज और सांस संबंधी समस्याएं हो जाती हैं, जो लगातार ऐसे वातावरण में रहने से गंभीर रूप ले लेती हैं और मौत का कारण बनती हैं.
इनडोर पॉल्यूशन कैसे करें कम
घरों में आग जलाकर खाना बनाना, घर में प्रदूषण फैलाने वाले फ्यूल और तकनीकियों का इस्तेमाल करने से इनडोर पॉल्यूशन बढ़ता है. घर में साफ और शुद्ध हवा लेने के लिए ऐसी गतिविधियों को कंट्रोल करना जरूरी है. इसके लिए साफ ईंधन और तकनीकियों का इस्तेमाल किया जाए. खाना बनाने के लिए सोलर, बिजली और बायोगैस से चलने वाले उपकरण एलपीजी गैस सिलेंडर, प्राकृतिक गैस, एल्कोहल फ्यूल और बायोमास स्टोव्स का इस्तेमाल किया जाए और WHO के दिशा-निर्देशों को फॉलो करके इनडोर पॉल्यूशन पर काबू पाया जा सकता है.
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