नई दिल्ली: दो दिन पहले मुख्य चुनाव आयुक्त के पद से मुक्त हुए ओपी रावत ने कालेधन पर पीएम नरेंद्र मोदी के दावे को खारिज करते हुए कहा है कि नोटबंदी का कालेधन पर कोई असर नहीं हुआ है. ओपी रावत शनिवार को ही मुख्य चुनाव आयुक्त के पद से रिटायर हुए हैं. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त का बयान इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है कि मोदी सरकार ने नोटबंदी को कालेधन को खत्म करने और टैक्स चोरी को कम करने के बड़े हथियार के रूप में प्रचारित किया था.
ओपी रावत ने कहा, "ऐसा लगता है कि राजनीति से जुड़े लोगों और उनकी आर्थिक मदद करने वालों को पैसे की कोई कमी नहीं हुई है. जिस तरह से पैसे खर्च किए जाते हैं, वो मौटे तौर पर काला धन होता है. जहां तक चुनाव में कालेधन के इस्तेमाल का सवाल है, उसपर कोई रोक नहीं लगी है."
उन्होंने आगे कहा, "नोटबंदी के बाद यह सोचा गया था कि चुनाव के दौरान पैसे का दुरुपयोग कम हो जाएगा, लेकिन आंकड़ों के आधार पर ये बात गलत साबित हुई है. पिछले चुनावों के मुकाबले इस बार ज्यादा कालेधन की जब्ती हुई."
ओपी रावत को इस साल जनवरी में देश का मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया गया था. इनके कार्यकाल में अनेक विधानसभा चुनाव और उप-चुनाव सफलता पूर्वक आयोजित किए गए. ओपी रावत की जगह अगले मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में सुनील अरोड़ा को नियुक्त किया गया है. उन्होंने रविवार को पदभार संभाला. ओपी रावत का जन्म 2 दिसंबर, 1953 को हुआ था. वह 1977 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी थे.
अपने तीन दशक लंबे कॅरियर में ओपी रावत ने केन्द्र और राज्य सरकार में अनेक जिम्मेदारियों को निभाया. ओपी रावत 2004 से 2005 के दौरान मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के प्रिंसिपल सेकेट्री भी थे. नवनियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा 1980 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. अब इन्हीं के नेतृत्व में 2019 का लोकसभा चुनाव होगा. लोकसभा चुनाव के साथ-साथ अगले साल जम्मू कश्मीर, ओडिशा, महाराष्ट्र, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में भी विधानसभा चुनाव होना है.
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