नई दिल्ली: आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन (एचयूपीए) मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि देश के शहरी इलाकों में एक करोड़ से अधिक परिवारों के पास बाथरूम नहीं है.


केंद्र सरकार के ‘फ्लैगशिप’ प्रोग्राम स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार का लक्ष्य वर्ष 2019 तक भारत को खुले में शौच से मुक्त बनाना है.


इस कार्यक्रम के तहत, अब तक 31.14 लाख शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है जबकि सरकार की मदद से 1.15 लाख सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय निर्मित किए जा चुके हैं.


शहरी इलाकों में रह रहे परिवारों की संख्या करीब 7.8 करोड़ है.


आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय द्वारा संसद में हाल ही में मुहैया कराए गए आंकड़ों के अनुसार, ‘‘करीब एक करोड़ या शहरी इलाकों में रह रहे कुल परिवारों के करीब 13 फीसदी की न तो सार्वजनिक शौचालय तक पहुंच है और न ही यह सुविधा उनके अपने परिसरों में है.’’ आंकड़ों के अनुसार, 74.64 लाख मकानों में बिना छत वाले अहातों का उपयोग किया जाता है और 18 फीसदी या 1.42 करोड़ परिवारों के मकानों में अलग रसोई घर की सुविधा नहीं है. इसमें संकेत दिया गया है कि इन परिवारों के सदस्य प्रदूषण के संपर्क में आते हैं जिससे इन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती है.


प्रधानमंत्री आवास योजना के घटक के तहत जिन परिवारों के पास रसोईघर, शौचालय या बाथरूम जैसी सुविधाओं का अभाव है, उन्हें इनके निर्माण के लिए 1.5 लाख रूपये तक की केंद्रीय सहायता दी जा सकती है.