जलवायु परिवर्तन को लेकर IPSOS की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें बताया गया कि क्लाइमेट चेंज की वजह से अगले 25 सालों में करोड़ों लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा. यानी इन लोगों को जहां वे अभी रह रहे हैं, उन्हें वहां अपना घर छोड़कर दूसरी जगहों पर शिफ्ट होना पड़ेगा. यह रिपोर्ट ऐसे समय में जारी की गई है, जब दुबई में जलवायु परिवर्तन पर COP28 यूनाइटेड नेशन क्लाइमेट चेंज कांफ्रेंस होने वाली है. रिपोर्ट के अनुसार, आधे से ज्यादा भारतीयों को भी इस बात का डर सता रहा है.
जलवायु परिवर्तन की वजह से बाढ़ और जंगलों में आग लगने जैसी प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिलती हैं और दुनियाभर की 38 फीसदी आबादी इसी खतरे से डरी हुई है. रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दस में से 4 लोगों में इसका का डर है कि उन्हें जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे और अगले 25 सालों में उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ सकता है. IPSOS ने अपनी रिपोर्ट में 31 देशों को शामिल किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा खतरा तुर्किए, ब्राजील और भारत के लोगों को महसूस हो रहा है, जबकि नीदरलैंड्स के नागरिकों में इसको लेकर सबसे कम डर है. आइए जानते हैं क्या कहती है IPSOS की ये रिपोर्ट-
क्या कहती है रिपोर्ट-
- रिपोर्ट में बताया गया कि सर्वे में शामिल लोगों में से 38 फीसदी लोग ये मानते हैं कि उन्हें जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे और अगले 25 सालों में उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ेगा.
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इन 38 फीसदी लोगों में से सबसे ज्यादा नागरिक भारत, तुर्किए और ब्राजील के हैं. जो ये मानते हैं कि उन्हें आने वाले समय में विस्थापित होना पड़ेगा.
- तुर्किए की 68 फीसदी जनता ये मानती है कि क्लाइमेट चेंज की वजह से उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ेगा और कहीं और जाकर बसना होगा.
- ब्राजील की 61 फीसदी आबादी भी यही मानती है कि उन्हें जलवायु परिवर्तन के खतरनाक परिणाम भुगतने होंगे.
- इसके अलावा, भारत की 57 फीसदी आबादी का भी यही मानना है कि अगले 25 सालों में उन्हें अपने घरों से विस्थापित होना पड़ेगा.
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सबसे कम खतरा नीदरलैंड्स की जनता को महसूस हो रहा है. राजधानी डच की सिर्फ 19 फीसदी आबादी इस डर में है कि क्लाइमेट चेंज की वजह से उन्हें अपना घर छोड़कर कहीं और जाकर रहना होगा.
- IPSOS ने 31 देशों के 24,000 नागरिकों पर यह सर्वे किया है. 22 सितंबर से 6 अक्टूबर के दौरान सर्वे किया गया था, जिसकी रिपोर्ट अब जारी हुई है.