Poverty In India: गरीबी को लेकर विश्व बैंक (World Bank) ने एक रिपोर्ट पेश की है. ये रिपोर्ट दुनिया में गरीबी (Poverty) को लेकर हालत बयां कर रही है. रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया गरीबी को खत्म करने को लेकर बहुत पीछे चल रही है. विश्व बैंक की नई रिपोर्ट में पता चला है कि साल 2020 में महामारी (Corona Pandemic) के कारण दुनिया भर में 71 मिलियन लोगों को अत्यधिक गरीबी ओर धकेल दिया गया और इनमें से लगभग 79% लोग भारत से थे.
विश्व बैंक की ‘पॉवर्टी एंड शेयर्ड प्रॉस्पैरिटी 2022’ रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक अत्यधिक गरीबी (यानी 2.15 डॉलर या 177 रुपये प्रतिदिन से कम पर जीवनयापन करने वाले लोगों की संख्या) 2019 में 8.4 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में अनुमानत: 9.3 प्रतिशत हो गई. दूसरे शब्दों में कहें तो दुनियाभर में गरीबों की संख्या 7.1 करोड़ बढ़ी है, जिनमें 33 से 80 फीसदी भारत में थे.
सबसे बड़ी आबादी वाले देशों का योगदान
विश्व बैंक के मुताबिक वैश्विक स्तर पर गरीबी को बढ़ाने में सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों का सबसे बड़ा योगदान है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की आबादी को देखते हुए वैश्विक गरीबों का एक बड़ा हिस्सा यहां होना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है, लेकिन उल्लेखनीय ये है कि भारत की तुलना में अधिक आबादी वाले एकमात्र देश चीन का वैश्विक गरीबी में वृद्धि में केवल एक सीमित योगदान रहा है.
विश्व बैंक ने आंकड़ों के लिए सीपीएचएस को बनाया आधार
विश्व बैंक का कहना है कि 2020 के लिए भारत के गरीबी अनुमानों की रेंज में व्यापक अंतर की वजह यह है कि भारत सरकार ने अभी अपने 2020 के गरीबी अनुमानों को अंतिम रूप नहीं दिया है और इसलिए यहां गरीबी के अनुमान के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करना पड़ा है. विश्व बैंक ने अपनी गणना में सीपीएचएस को आधार बनाया है.
2011 के बाद गरीबी में आई कमी
विश्व बैंक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘आंकड़े बताते हैं कि 2011 के बाद भारत में गरीबी में कमी आई थी, जो काफी हद तक ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी घटने का नतीजा रही है.’ हालांकि, इसमें यह भी कहा गया है कि भले ही उस अवधि के दौरान समग्र गरीबी में गिरावट आई, लेकिन यह वैश्विक गरीबी माप के लिए पहले के अनुमानों से कम है.
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