हम सभी का वास्ता किसी न किसी काम से देश के सरकारी दफ्तरों से पड़ता ही रहता है. कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो यहां किसी भी काम के लिए जाने से पहले ही इन दफ्तरों की एक तस्वीर हमारे दिमाग में बनी होती है. वजह इन दफ्तरों में घुसते ही कबाड़खाने में घुसने जैसा एहसास जो होता है. पान की पीक से रंगी दीवारें, बेतरतीब इधर-उधर बिखरी फाइल्स, धूल-फांकती फाइलों का अंबार और टूटा पड़ा फर्नीचर अमूमन यहां का नजारा कुछ ऐसा ही होता है.


इस पर भी अपने किसी काम की फाइल निकालने के लिए सरकारी बाबू से कहो तो उसका मिलना ही मुश्किल होता है. नतीजा लोगों के सरकारी काम लटकते जाते हैं, लेकिन फाइल्स के ढेर में कोई कमी नहीं आती. ऐसे में काम के लिए सरकारी दफ्तरों मेंं जाना एक आम इंसान को लोहे के चने चबाने से कम नहीं लगता है, लेकिन अब तस्वीर का रुख बदला है. अब ये दफ्तर साफ-सुथरे और यहां फाइलें करीने से सजी नजर आती हैं.  आखिर ऐसा क्या हुआ कि इनका कायापलट हो गया ?


मोदी सरकार का सफाई अभियान है रंग लाया


हम भारतीयों के दिलो-दिमाग में सरकारी अमले की तस्वीर हमेशा बदसूरत ही रही है. सरकारी दफ्तरों में जरूरी फाइलों का गुम हो जाना और इसकी वजह से अटक के कामों को पूरा करने के लिए लोगों का चक्कर पर चक्कर काटना को नई बात नहीं है. इस बदसूरत सी तस्वीर को खूबसूरत बनाने की जवाबदेही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने ली और इसका नतीजा शानदार रहा.


इससे सरकारी अमले को लेकर लोगों के जेहन में बसे लोगों के ख्यालातों में भी बदलाव आया. दरअसल देश की आजादी की लड़ाई को दिशा देने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती को सरकार ने सरकारी तंत्र में सुधार के लिए चुना. 2 से लेकर 31 अक्टूबर तक मोदी सरकार ने देश के सभी सरकारी विभागों के लिए एक खास तरह का स्वच्छता अभियान 2.0 चलाया है.


यकीन मानिए 29 दिनों में इन विभागों का कायाकल्प हो गया. इस अभियान का हासिल ये हुआ कि इस दौरान 54 लाख से अधिक सरकारी फाइल्स की समीक्षा की गई. लंबे वक्त से लटके 4 लाख से अधिक मामलों और शिकायतों का निपटारा किया गया. इतना ही नहीं फाइलों की जांच-पड़ताल में बेकार की फाइल्स सरकारी दफ्तरों से हटा दी गईं.


इसका फायदा ये हुआ कि सरकारी दफ्तरों में नाहक जगह घेरने वाली इन फाइल्स के न होने से वहां जगह में इजाफा हुआ. करीब 88 लाख वर्ग फीट से अधिक की जगह सरकारी दफ्तरों में बनी. इस सफाई अभियान में केवल कचरे से निजात ही नहीं पाई गई बल्कि इसे बेच कर कमाई भी की गई. फाइल्स की रद्दी और स्क्रैप को बेचकर सरकार ने 364.53 करोड़ रुपये कमाए. बीते साल के मुकाबले ये अभियान लगभग 15 गुना बड़े पैमाने पर चलाया गया. 


हीलाहवाली अब नहीं... वक्त पर करना होगा काम


पीएम मोदी की सरकार में हीलाहवाली वाले काम के तरीके को अलविदा कह दिया गया है. इसमें सरकार को किसी भी तरह से किसी भी काम में देरी बर्दाश्त नहीं है, फिर चाहे वो डेवलपमेंट प्रोजेक्ट हो या फिर पेंडिंग पड़े सरकारी कामों की फाइल्स. सरकार को सब काम सही, साफ तरीके से वक्त पर चाहिए. इसकी शुरुआत बीते साल गांधी जयंती के सफाई अभियान 2.0 से की जा चुकी है.


केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के मुताबिक इस साल के अभियान के तहत देश के रिमोट इलाकों सहित संबद्ध, अधीनस्थ, क्षेत्रीय ऑफिसों पर फोकस किया गया. इसके जरिए पूरे देश में कुल 99,633 जगहों पर लंबे वक्त से अटके कामों को पूरा किया गया. अभियान के जरिए 436855 लंबित पड़ी सार्वजनिक शिकायतों की जांच कर उनका निपटारा किया गया.


रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश के सरकारी विभागों और मंत्रालयों की 54.5 लाख  फाइल्स को जांचा -परखा गया. अभियान के तहत संसद सदस्यों की लगभग 8784 शिकायत को भी दूर किया गया. यहीं नहीं सरकारी विभागों और मंत्रालयों में वर्षों से पड़े कबाड़ को भी ठिकाने लगाया गया. इस कबाड़ को बेचने से सरकार को 364.53 करोड़ रुपये की आमदनी हुई.


सबसे अधिक कबाड़ा सैन्य विभाग के कार्यालयों से निकला. इस कबाड़े से सरकार की झोली में 212.76 करोड़ रुपये आए.  कबाड़ से सरकार को कमाई कराने के मामले में कोयला मंत्रालय दूसरे नंबर पर रहा. यहां का कबाड़ बेचकर  48.51 करोड़ रुपये  मिले.  तीसरे नंबर पर रेल मंत्रालय रहा. यहां से मिले कबाड़ को बेचकर 33.05 करोड़ रुपये की रकम सरकार के हाथ में आई.


जब सरकारी अधिकारी और लोग आए साथ


कहा जाता है न कि एकता में बल होता है और यही बल सरकार के खास सफाई अभियान 2.0 में दिखा. ये अभियान बेहद बड़े पैमाने पर अमल में लाया गया. इसे कामयाब करने में हजारों सरकारी अधिकारियों के संग देश के नागरिकों ने भी बढ़-चढ़ कर शिरकत की. इन लोगों ने मिलकर सरकारी ऑफिसों में सफाई अभियान को अंजाम दिया.


इस अभियान में पोस्टल विभाग के 24000 पोस्ट ऑफिस में सफाई अभियान चलाया गया. इसके बाद रेल मंत्रालय का नंबर आया. इसके 9374 रेलवे स्टेशन सफाई अभियान के दायरे में आए. वहीं  रक्षा विभाग ने 5922 अभियान स्थलों में सफाई अभियान को अमलीजामा पहनाया तो गृह मंत्रालय भी पीछे नहीं रहा. इस मंत्रालय ने 11559 ऑफिसों में ये अभियान चलाया.


इस सफाई अभियान 2.0 में 16 मंत्रालयों और विभागों ने भी शिरकत की. इसके तहत 1000 से अधिक ऑफिसों में सफाई की गई. इस खास अभियान की सफलता के पीछे इसकी प्रगति की लगातार निगरानी किया जाना रहा है. इसके लिए एक खास www.pgportal.gov.in/scdpm22 पोर्टल बनाया गया था.


इसके जरिए ही रोजाना इस अभियान पर नजर रखी गई थी. इस काम सभी मंत्रालयों, विभागों के 215 नोडल अधिकारी और उप-नोडल अधिकारियों ने अंजाम दिया. इस अभियान की साप्ताहिक समीक्षा भारत सरकार के सचिव स्तर के अधिकारियों ने की. खास अभियान 2.0 की प्रगति को सरकार के मंत्रालयों और विभागों ने सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक भी पहुंचाया गया.  इसके लिए 67,000 से अधिक ट्वीट किए गए. इसके अलावा पत्र सूचना कार्यालय ने भी इसमें अहम योगदान दिया. अभियान की प्रगति को लेकर 127 बयान जारी किए गए.


जब राष्ट्रपति भवन के बराबर जगह हुई खाली


गांधी जयंती के मौके पर साल 2021 के खास सफाई अभियान में भी सरकारी दफ्तरों में लंबित पड़ी फाइलों से घिरी हुई जगह खाली हुई थी. इन फाइल्स की समीक्षा और कबाड़े को बेचने के बाद ये जगह खाली हुई थी. तब राष्ट्रपति भवन के फ्लोर एरिया की तुलना में लगभग 4 गुना जगह खाली हुई थी. गौरतलब है कि राष्ट्रपति भवन का फ्लोर एरिया लगभग 2 लाख वर्ग फीट का है, जबकि खास सफाई अभियान 2.0 से 9 लाख वर्ग फीट की जगह खाली हुई थी.


बीते साल लोगों की 3 लाख 28 हजार शिकायतें लंबित पड़ी थी. इस अभियान के जरिए इन शिकायतों की फाइल्स को जांच-परख कर 3 लाख 3 हजार शिकायतों का निवारण किया गया. इसी की तर्ज पर सांसदों की तरफ से आए 11057 खतों को पढ़कर इसमें 8282 को निपटाया गया. यहीं नहीं 834 नियम-कायदों में से 685 नियमों को आसान बनाया गया.