नई दिल्ली : जवाहर लाल नेहरु यूनिर्सिटी में देशविरोधी नारे लगाने की घटना को 900 दिन से ज्यादा हो चुके हैं. लेकिन अभी तक दिल्ली पुलिस इस केस में चार्जशीट दायर नहीं कर पाई है और केस ट्रायल पर चल रहा है. जबकि नियमानुसार, सीआरपीसी (CrPC) की धारा 173 के तहत दिल्ली पुलिस को 90 दिन के अंदर चार्जशीट करनी चाहिए थी. दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि तत्कालीन पुलिस प्रमुख बीएस बस्सी द्वार गठित स्पेशल सेल ने जांच पूरी कर ली है. दिल्ली पुलिस शुरू से ही केस को काफी मजबूत बता रही है लेकिन हैरानी इस बात की है कि अभी तक कोई चार्जशीट दायर नहीं की गई है.


दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने दावा किया कि गिरफ्तार तीन छात्रों में - कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिरुद्ध भट्टाचार्य के अलावा कश्मीर के कुछ युवाओं के खिलाफ भी उनके पास सबूत हैं. हालांकि, इस बात की कोई स्पष्टता नहीं है कि क्या यह सबूत साजिश करने या साजिश का हिस्सा बनने या अपराध को बढ़ावा देने से संबंधित है. यह तभी स्पष्ट होगा जब अदालत में अंतिम रिपोर्ट जमा की जाएगी.

हालांकि पुलिस ने आधिकारिक तौर पर टिप्पणी नहीं की, सूत्रों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अस्थिर स्थिति की वजह से चार्जशीट 2017 में दायर नहीं की जा सकी. देशद्रोह के लिए कश्मीरी युवाओं पर कारवाई करने से राजनीतिक विद्रोह हो सकता है और अभी क्षेत्र में शांति बहाल करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

बता दें कि जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में 9 फरवरी 2016 को अफजल गुरू की बरसी पर एक कार्यक्रम हुआ था जिसमें देशविरोधी नारे लगने के आरोप लगे. 12 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने वायरल हुए वीडियो के आधार पर तत्कालीन छात्र संघ अध्यक्ष की गिरफ्तारी की थी. कन्हैया के अलावा उमर खालिद, अनिरबान भट्टाचार्या, रामा नागा के साथ कुछ कश्मीरी युवकों के घटना में शामिल होने की बात कही गई थी. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद द्वारा जेएनयू छात्रों का समर्थन किया गया.