इस सीट से बीजेपी की कुसुम देवी को सबसे अधिक 70 हजार 53 वोट मिले और उनकी जीत हुई. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी (RJD) के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता को 68 हजार 259 वोट मिले. उन्हें 1794 वोट से हार मिली.
आरजेडी हार को 'जीत' के तरह ही देख रही
आरजेडी (RJD) हार के बावजूद गोपालगंज के रिजल्ट को 'जीत' के तौर पर ही देख रही है. तेजस्वी यादव ने कहा, ''जनता ने जो भरोसा हमारे प्रत्याशियों पर जताया है, उन पर खरा उतरने का काम करें. मोकामा का चुनाव एकतरफा रहा. गोपालगंज में हम 2020 में 40 हजार वोटों से हारे थे. इस बार सिंपैथी फैक्टर होने के बाद भी, बीजेपी केवल 1700 वोटों से जीती है. मुकाबला दिलचस्प रहा. हम लोगों का जो प्रयोग था वो काफी हद तक सफल रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, हम, कांग्रेस और वामदलों को धन्यवाद देते हैं.''
उन्होंने आगे कहा, ''बीजेपी के लोग अब सोच में पड़े होंगे कि जो उनका कोर वोट है...हम वहां भी किस प्रकार से सेंध मार रहे हैं. ये मामूली बात नहीं है. अगली बार हम गोपालगंज में 20 हजार से लीड करके दिखाएंगे. हमें सभी धर्मों और जाति के लोगों ने वोट किया है.''
AIMIM गोपालगंज में हार की वजह
बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के किए गए दावों के बीच ये माना जा रहा है कि आरजेडी की गोपालगंज में हार की एक वजह ओवैसी की पार्टी रही. दूसरी वजह तेजस्वी यादव की मामी इंदिरा यादव को भी माना जा रहा है. लालू यादव से खफा साधु यादव की पत्नी इंदिरा यादव बहुजन समाज पार्टी (BSP) के टिकट पर चुनाव के मैदान में उतरी थीं. उन्हें 8 हजार 854 वोट मिले. वही गोपालगंज सीट से आरजेडी के टिकट पर साल 2000 में साधु यादव विधायक चुने गए थे.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुस्लिम-यादव मतदाताओं के कुछ वोटों के विभाजन ने गोपालगंज सीट पर आरजेडी की जीत के इंतजार को और बढ़ा दिया. इन दोनों वर्गों को आरजेडी का पारंपरिक वोटर माना जाता है.
सुभाष सिंह चार बार जीते
गोपालगंज सीट से बीजेपी के सुभाष सिंह ने पहली बार 2005 में जीत दर्ज की थी. इसके बाद उन्हें 2010, 2015 और 2020 के चुनाव में भी जीत मिली. 16 अगस्त 2022 को उनके निधन के बाद सीट खाली हुई. बीजेपी ने सिंह की पत्नी कुसुम देवी को अपना प्रत्याशी बनाया और जीत हासिल की.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा, "गोपालगंज में महागठबंधन को जनता ने नकार दिया है. उन्होंने कहा, ''नीतीश कुमार लालू के साथ थे फिर भी नहीं जीत पाए. बीजेपी के बेस वोट में सेंध नहीं लगा पाए. लव कुश और EBC ने एकमुश्त वोट बीजेपी को दिया. मोकामा और गोपालगंज ने बता दिया की JDU का बेस वोट अब बीजेपी के साथ है.''
क्या बोले ओवैसी?
बीजेपी विरोधी दलों के आरोप पर असदुद्दीन ओवैसी ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत करते हुए कहा, "बिहार की टीम ने बड़ी मेहनत की है. वहां के वोटरों का शुक्रिया. हमारे ऊपर आरोप लगते रहे हैं. लालू यादव के साले ने 8 हजार 800 वोट हासिल किए. उन्हें क्या तमगा देंगे या कहेंगे कि लालू यादव के साले हैं इसलिए नहीं कहा जा सकता है".
ओवैसी ने कहा, ''लोकतंत्र में जनता वोट देती है. विरोधी दल अपनी नाकामी का इल्जाम हम पर जरूर लगा सकते हैं, क्योंकि लालू जी के साले साहब पर सवाल उठाना शायद अमर्यादित होगा.'' गैर-बीजेपी दल ओवैसी पर बीजेपी का बी-टीम होने का आरोप लगाती रही है.
पहली बार AIMIM ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था
ओवैसी की पार्टी (AIMIM) ने 2020 के विधानसभा चुनाव में पहली बार सीमांचल में चार जिलों अररिया, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज की मुस्लिम बहुल 20 सीटों पर हाथ आजमाया था. इनमें पांच सीटें (अमौर, कोचाधामन, जोकीहाट, बायसी और बहादुरगंज) पर जीत दर्ज की थी. एआईएमआईएम (AIMIM) की जीत को आरजेडी के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा गया. हालांकि इसी साल जून में एआईएमआईएम (AIMIM) को आरजेडी ने झटका देते हुए प्रदेश अध्यक्ष और अमौर से विधायक अख्तारुल इमाम को छोड़कर चार विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया.
एआईएमआईएम (AIMIM) के टिकट पर बायसी से सैयद रुकनुद्दीन अहमद, जोकीहाट से शाहनवाज आलम, कोचाधामन से मोहम्मद इजहार असफी और बहादुरगंज से मोहम्मद नईमी ने जीत दर्ज की थी.