नई दिल्ली: पंद्रह जुलाई को यूपी के पूर्वांचल में पीएम नरेन्द्र मोदी रहेंगे तो पश्चिमी यूपी में असदुद्दीन ओवैसी. कोरोना की दूसरी लहर की तबाही के बाद पहली बार मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में रहेंगे. तो ओवैसी चुनावी थर्मामीटर लेकर अपने लोगों के बीच होंगे. उनकी कोशिश मुसलमानों के बीच ओवैसी फ़ैक्टर का थाह लेने की है. 


आख़िर विधानसभा चुनावों में ओवैसी का माहौल क्या रहेगा. इसे जानने के लिए उन्होंने ज़बर्दस्त रणनीति तैयार की है. कहा जा रहा है कि ओवैसी का ये दौरा एक तरह से पश्चिमी यूपी में उनके चुनाव प्रचार की शुरूआत है. अपने इस दौरे में वे मुरादाबाद में जनसभा को संबोधित करेंगे. संभल में वे दोपहर में नमाज़ भी अदा करेंगे.


एआईएमआईएम के बॉस असदुद्दीन ओवैसी का वादा और इरादा यूपी को बिहार बनाने का है. जहॉं विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी की शानदार जीत हुई थी. एआईएमआईएम के 5 नेता विधायक चुने गए थे. ओवैसी इसी कामयाबी को यूपी में भी दुहराना चाहते हैं. इसीलिए उन्होंने इस बार नारा भी बदल लिया है. ओवैसी ने कहा है कि इस बार के चुनाव में एमवाई नहीं ए टू जेड समीकरण चलेगा. एमवाई मतलब मुस्लिम यादव. जो कि समाजवादी पार्टी का वोट बैंक रहा है. वे कहते हैं कि मुसलमानों को सत्ता में हिस्सेदारी चाहिए. वे एक साथ योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव पर हमलावर हैं. पिछले कई दशकों से यूपी समाजवादी पार्टी ही मुस्लिम समाज की पहली पसंद रही है. ओवैसी इसी समीकरण को तोड़ कर अपने लिए राजनैतिक संभावनाएँ तलाश रहे हैं.


असदुद्दीन ओवैसी के पास इस तरह का फ़ीडबैक है कि पश्चिमी यूपी में एआईएमआईएम अच्छा कर सकती है. यूपी में 130 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहॉं मुसलमानों का अच्छा असर है. जीत हार तय करने में उनकी निर्णायक भूमिका होती है. 15 जुलाई को ओवैसी दिल्ली से चल कर शाम तक मुरादाबाद पहुँचेंगे .उन्होंने अपना दौरा इस तरह से बनाया है कि वे पश्चिमी यूपी के कई ज़िलों को छूते हुए निकलें. सवेरे वे नोएडा के रास्ते निकलेंगे. 


फिर हापुड़ से मेरठ, सहारनपुर, मुज़फ़्फ़रनगर, बुलन्दशहर, संभल होते हुए मुरादाबाद पहुँचेंगे. जगह जगह उनके स्वागत सत्कार की तैयारियॉं की गई हैं . कोशिश ये बताने और दिखाने की है कि पश्चिमी यूपी में तो ओवैसी की हवा है. जानकारी मिली है कि इस दौरे में दूसरी पार्टियों के कुछ नेता ओवैसी की पार्टी में भी शामिल हो सकते हैं


असदुद्दीन ओवैसी इस से पहले यूपी के पूर्वांचल की यात्रा कर चुके हैं. उनका ये दौरा बड़ा विवादित रहा था. इसी महीने की शुरूआत में वे बहराइच में गाजी सालार मसूद की दरगाह पर गए थे. महमूद गजनवी के भांजे सालार मसूद से हिंदू राजा सुहेलदेव राजभर का युद्ध भी हुआ था. 


बीजेपी पिछड़ी जाति के सुहेलदेव राजभर को हिंदू मान सम्मान का प्रतीक बताकर चुनावी फ़ायदा ढूँढ रही है. तो सालार मसूद के बहाने ओवैसी की नज़र मुस्लिम वोटरों पर है. यूपी के पिछले चुनाव में एआईएमआईएम 38 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. एक को छोड़ कर बाक़ी सभी सीटों पर पार्टी की ज़मानत ज़ब्त हो गई थी. ओवैसी इस बार ये गेम पलटने की जुगत में हैं