नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऑक्सीजन सांद्रकों की कथित कालाबाजारी के मामले में नवनीत कालरा के अग्रिम जमानत के अनुरोध को शुक्रवार को ठुकरा दिया और राहत नहीं देने के निचली अदालत के कारणों से सहमति जताई.


सत्र अदालत ने कालरा की अग्रिम जमानत की याचिका को गुरुवार को खारिज करते हुए कहा था कि उसके खिलाफ लगे आरोप गंभीर हैं और ‘‘पूरी साजिश का पर्दाफाश करने के लिए उसको हिरासत में लेकर पूछताछ किए जाने की जरूरत है.’’


न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने मामले की सुनवाई 18 मई के लिये निर्धारित करते हुए कहा, ‘‘मैं निचली अदालत द्वारा दिए गए कारणों से सहमत हूं. फिलहाल किसी प्रकार का अंतरिम संरक्षण नहीं देने के लिए वाजिब कारण हैं.’’


अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल एस वी राजू के अनुरोध के बाद मामले की सुनवाई 18 मई तक स्थगित कर दी गयी. मामले में कालरा की तरफ से पेश वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और विकास पाहवा ने अदालत से अनुरोध किया कि तब तक कुछ अंतरिम संरक्षण दिया जाए.


सिंघवी ने अदालत से कहा कि पुलिस पूरी मुस्तैदी से कालरा की तलाश कर रही है और उसके परिजनों और दोस्तों के आवास पर भी गयी है और जब तक अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही है तब तक पुलिस को वहां नहीं जाना चाहिए.


एएसजी राजू ने उच्च न्यायालय से याचिका पर 18 मई को सुनवाई करने का अनुरोध करते हुए कहा कि उनके पास फर्जी कंपनियों के संबंध में कई सूचनाएं हैं और अदालत के समक्ष इसे पेश करने के लिए कुछ समय की जरूरत है.


कालरा के रेस्टोरेंट से बरामद किए गए ऑक्सीजन सांद्रक 
हाल में की गयी छापेमारी के दौरान कालरा के तीन रेस्त्रां ‘खान चाचा’, ‘नेगा जू’ और ‘टाउन हॉल’ से 524 ऑक्सीजन सांद्रक बरामद किए गए थे और ऐसा संदेह है कि वह अपने परिवार के साथ दिल्ली छोड़कर चला गया है. ऑक्सीजन सांद्रक कोविड-19 के इलाज में महत्वपूर्ण चिकित्सकीय उपकरण हैं.


भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (जालसाजी), 188 (लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा), 120-बी (आपराधिक साजिश) और 34 (समान इरादे से काम करना) के तहत कालरा के खिलाफ पांच मई को एक मामला दर्ज किया गया था. ऑक्सीजन सांद्रकों की कालाबाजारी के लिए आवश्यक वस्तु कानून और महामारी कानून के तहत भी प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.


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