नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वीडियो संदेश को निराशाजनक करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि प्रतीकात्मक चीजे महत्वपूर्ण हैं लेकिन विशेषज्ञों एवं अर्थशास्त्रियों की विवेकपूर्ण सलाह को सुनना भी उतना ही महत्वपूर्ण है. पूर्व वित्त मंत्री ने यह दावा भी किया कि प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद कामकाजी वर्ग, कारोबारी और दिहाड़ी मजदूर निराश हुए जो आर्थिक विकास के लिए कुछ कदमों की उम्मीद लगाए हुए थे.


दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में देश की ‘सामूहिक शक्ति’ के महत्व को रेखांकित करते हुए रविवार पांच अप्रैल को देशवासियों से अपने घरों की बालकनी में खड़े रहकर नौ मिनट के लिए मोमबत्ती, दीया, टॉर्च या मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाने की अपील की.


चिदंबरम ने ट्वीट किया, 'प्रधानमंत्री जी, हम आपकी सुनेंगे और पांच अप्रैल को दीया भी जलाएंगे. लेकिन बदले में आप हमारी, महामारी विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों की विवेकपूर्ण सलाह को सुनें.''





उन्होंने दावा किया, ''हर कामकाजी महिला एवं पुरुष, कारोबारी से लेकर दिहाड़ी मजदूर तक सभी आपसे उम्मीद कर रहे थे कि आप अर्थव्यवस्था को संभालने और आर्थिक विकास के इंजन को फिर से आरंभ करने के लिए कुछ कदमों की घोषणा करेंगे. लोग दोनों मोर्चों पर निराश हुए.''


उन्होंने कहा, '' प्रतीकात्मकता महत्वपूर्ण है, लेकिन विचारों एवं कदमों को लेकर गंभीरता से सोचना भी उतना ही महत्वपूर्ण है.'' कांग्रेस नेता शशि थरूर ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, '' हमने 'प्रधान शोमैन' को सुना. लोगों की पीड़ा, उनके बोझ और उनकी वित्तीय मुश्किलों को कम करने के लिए कुछ नहीं कहा गया. भविष्य को लेकर कोई दृष्टिकोण नहीं रखा गया. यह भारत के 'फ़ोटो-अप' प्रधानमंत्री द्वारा पैदा किया एक 'फील गुड' क्षण है.''