(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
पी चिदंबरम का केंद्र सरकार पर हमला, कहा- सत्ता में बैठे लोग असली 'टुकड़े-टुकड़े गैंग'
चिदंबरम ने कहा कि भारत जिस दिशा में बढ़ रहा है उससे दुनिया सशंकित है. हर देशभक्त भारतीय को चिंतित होना चाहिए.पी चिदंबरम ने आरोप लगाते हुए कहा कि जो लोग सत्ता में हैं वो असली टुकड़े-टुकड़े गैंग हैं
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने लोकतंत्र सूचकांक में भारत के 10 स्थान लुढ़कने को लेकर बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार में लोकतांत्रिक संस्थाओं को शक्तिहीन किया गया है और सत्ता में बैठे लोग असली 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' हैं.
पूर्व गृह मंत्री ने ट्वीट किया, 'बीजेपी लोकतंत्र सूचकांक में 10 स्थान लुढ़क गई है. पिछले दो साल के राजनीतिक घटनाक्रमों पर नजदीकी नजर रखने वाला कोई भी व्यक्ति यह जनता है कि लोकतंत्र को कुचला गया है और लोकतांत्रिक संस्थाओं को शक्तिहीन किया गया है."
उन्होंने आरोप लगाया, ' जो लोग सत्ता में हैं वो असली टुकड़े-टुकड़े गैंग हैं.'
चिदंबरम ने कहा, 'भारत जिस दिशा में बढ़ रहा है उससे दुनिया सशंकित है. हर देशभक्त भारतीय को चिंतित होना चाहिए."
दरअसल, द इकोनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट (ईआईयू) द्वारा 2019 के लिये लोकतंत्र सूचकांक की वैश्विक सूची में भारत 10 स्थान लुढ़क कर 51वें स्थान पर आ गया है. संस्था ने इस गिरावट की मुख्य वजह देश में “नागरिक स्वतंत्रता का क्षरण” बताया है.
सूची के मुताबिक भारत का कुल अंक 2018 में 7.23 था जो अब घटकर 6.90 रह गया है. यह वैश्विक सूची 165 स्वतंत्र देशों और दो क्षेत्रों में लोकतंत्र की मौजूदा स्थिति का एक खाका पेश करती है.
टुकड़े-टुकड़े गैंग की जानकारी को लेकर दाखिल की गई थी RTI, गृह मंत्रालय ने दिया था ये जवाब
"टुकड़े टुकड़े गैंग" कैसे और कब बना. इसे किसने बनाया. अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के तहत इसे प्रतिबंधित क्यों नहीं किया गया है? इसके सदस्य कौन हैं? एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक एक आरटीआई याचिका में गृह मंत्रालय के अधिकारियों से यही सवाल पूछे गए थे, जिसका जवाब में मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग' की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.
नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारियों ने कहा था कि 'टुकड़े टुकड़े गैंग' (टीटीजी) शब्द का किसी भी इंटेलीजेंस या कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा उल्लेख नहीं किया गया है. अधिकारियों का कहना है कि इस शब्द का इस्तेमाल 2016 में जेएनयू के कुछ छात्रों के लिए किया गया था जो राष्ट्र विरोधी नारे लगा रहे थे. लेकिन वो किसी गैंग या ग्रुप के सदस्य नहीं थे. ना ही किसी इंटेलीजेंस या कानून प्रवर्तन एजेंसियों की ओर से अपनी किसी भी रिपोर्ट में ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ जैसा कोई उल्लेख किया गया है.
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