नई दिल्ली: गलवान घाटी में भारत और चीनी सेना के बीच हुए खूनी संघर्ष ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है. कांग्रेस और बीजेपी के बीच लगातार आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. आज कांग्रेस की तरफ से पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को जवाब दिया. बता दें नड्डा ने सोमवार को पूर्व पीएम मनमोहन सिंह पर निशाना साधा था. चिदंबरम ने तंज कसते हुए नड्डा से सवाल किया कि क्या वह पीएम मोदी से पिछले पांच सालों में हुई चीनी घुसपैठ को लेकर भी सवाल पूछेंगे.


कांग्रेस नेता चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ''बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह से 2010 और 2013 के बीच भारत में 600 चीनी घुसपैठों के बारे में बताने के लिए कहा. जी हां, घुसपैठ हुई थी, लेकिन चीन ने किसी भी भारतीय क्षेत्र पर कब्जा नहीं किया था और हिंसक झड़पों में भारतीय सैनिकों की जान नहीं गई थी.''



पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, ''क्या जेपी नड्डा मौजूदा पीएम से 2015 से 2264 चीनी घुसपैठ के बारे में सवाल पूछेंगे?'' उन्होंने कहा, "मुझे यकीन है कि नड्डा पीएम मोदी से इस बारे में सवाल पूछने की हिम्मत नहीं करेंगे."



नड्डा ने साधा था पूर्व पीएम मनमोहन सिंह पर निशाना
गौरतलब है कि जेपी नड्डा ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर पलटवार करते हुए कहा था कि चीन ने मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते सैकड़ों वर्ग किलोमीटर भूमि बिना संघर्ष के छीन ली. साथ ही जेपी नड्डा ने यह भी कहा था कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 2010 से 2013 के बीच पड़ोसी देश ने 600 बार घुसपैठ की.


जेपी नड्डा ट्वीट कर कहा था, "पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का बयान सिर्फ शब्दों की बाजीगरी है. कांग्रेस पार्टी और उनके नेताओं का व्यवहार ऐसा है जिसे देख किसी भी भारतीय को इस बयान पर भरोसा नहीं होगा. याद रखिए कांग्रेस ने हमेशा सेना पर सवाल उठाए हैं."


नड्डा ने आगे कहा, "मनमोहन सिंह उसी पार्टी के हैं जिसने चीन को 43000 किमी जमीन सरेंडर कर दिया था. यूपीए शासन के दौरान बिना लड़े सरकार को सरेंडर करते हुए लोगों ने देखा है. बार-बार सेना को छोटा बताया गया था."


मनमोहन सिंह ने दी थी मोदी को नसीहत
इससे पहले पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी को अपने शब्दों के प्रभाव पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें अपने बयान से चीन के षड्यंत्रकारी दावे को बल नहीं देना चाहिए. आज हम इतिहास के एक नाजुक मोड़ पर खड़े हैं. हमारी सरकार के फैसले और सरकार की तरफ से उठाए गए कदम तय करेंगे कि भविष्य की पीढ़ियां हमारा आंकलन कैसे करें. जो देश का नेतृत्व कर रहे हैं, उनके कंधों पर कर्तव्य का गहन दायित्व है. हमारे प्रजातंत्र में यह दायित्व देश के प्रधानमंत्री का है. प्रधानमंत्री को अपने शब्दों और ऐलानों से देश की सुरक्षा और भू-भागीय हितों पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति हमेशा सावधान होना चाहिए.


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