नई दिल्लीः आए दिन ऐसी शिकायतें मिलती रहती हैं कि देश में बिकने वाले पैकेट बन्द सामानों पर जो जानकारियां ग्राहकों को दी जाती हैं वो इतनी कम और छोटी लिखी होती हैं कि कई बार उन्हें पढ़ पाना भी मुश्किल होता है. इन्हीं शिकायतों को दूर करने के लिए अब केंद्र सरकार सख्ती करने की योजना बना रही है. केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान ने ये जानकारी देते हुए अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है.


निर्माता देश का नाम लिखना जरूरी


पासवान ने उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव और मंत्रालय के तहत आने वाले नाप तौल विभाग को आदेश दिया है कि पैकेट बन्द सामानों पर दी जाने वाली जानकारियों में जल्द सुधार किया जाए. उन्होंने निर्देश दिया है कि इन पैकेट बन्द सामानों पर निर्माता देश का नाम, निर्माता कंपनी का नाम, अगर सामान आयात कर भारत में पैकेट बन्द किया गया है तो आयातक या पैकेट बन्द करने वाले का नाम, सामान उत्पादन की तारीख़, सामान ख़राब होने की तारीख़ (Expiry Date), सभी कर सहित क़ीमत, मात्रा या वजन और उपभोक्ता शिकायत नम्बर की जानकारी बड़े बड़े अक्षरों में देना सुनिश्चित किया जाए.


ऐसा पाया गया है कि अभी अनेक सामानों पर उत्पादन की तारीख़, एक्सपायरी तिथि और वजन की जानकारी बेहद छोटे अक्षरों में दी जाती है जिसे पढ़ पाना नामुमकिन है.


नए निर्देश में उस आयातक या पैकेट बन्द करने वाले का नाम भी लिखने को कहा गया है जिसने दूसरे देश से सामान मंगाया है. ये भी लिखना अनिवार्य होगा कि किस देश से सामान मंगवाया गया है. माना जा रहा है कि चीन और अन्य देशों से आने वाले सामानों की सही-सही जानकारी उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए सरकार ने ये क़दम उठाया है.


महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने की थी शिकायत


रामविलास पासवान का निर्देश महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले के एक पत्र के बाद आया है. पटोले ने पासवान को लिखे पत्र के ज़रिए ऐसी शिकायत की थी कि महाराष्ट्र में सीमेंट की बोरियां एक्सपायरी की तारीख़ के बाद भी बाज़ार में मिल रही हैं. इस बारे में पटोले ने पासवान को फोन भी किया था.


पासवान के मुताबिक़ ऐसी शिकायतें देश के दूसरे भागों से भी मिल रही थी कि पैकेट में बिकने वाले सभी सामानों पर प्रदर्शित होने वाली ज़रूरी जानकारी का सही ढंग से पालन नहीं हो रहा है. इसके बाद उपभोक्ता मंत्रालय और नाप तौल विभाग को ज़रूरी आदेश जारी कर कहा गया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाए.


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