Padampur By-Election 2022: पश्चिमी ओड़िशा के बारगढ़ जिले की पदमपुर सीट पर पांच दिसंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने चुनाव प्रचार में अलग-अलग समुदायों को रिझाने में लगे हैं. हालांकि, ओडिशा में जाति की राजनीति का दबदबा रहा है और यहां भी जाति की राजनीति ही चलती है. इसे देखते हुए मतदान की तारीख करीब आने के साथ ही दोनों दल गंधमर्दन पर्वत की तलहटी में स्थित भगवान नृसिंहनाथ मंदिर के पास अलग-अलग समुदायों की सभाएं कर रहे हैं.


बारगढ़ जिले में कुल 2.57 लाख मतदाताओं में से 29 फीसदी आदिवासी हैं. पदमपुर सीट 2009 तक अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित थी लेकिन अब यह सामान्य सीट है. इस सीट पर बरिहा परिवार का कब्ज़ा रहा है जो बिंझाल समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.


बीजद नेता बिजय रंज सिंह बिरहा के निधन से खाली हुई सीट


बिजय रंजन सिंह बरिहा इस सीट से पांच बार विधायक रहे हैं और अक्टूबर में उनके निधन की वजह से इस सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है. इससे पहले उनके पिता बिक्रमादित्य सिंह बरिहा इस सीट से तीन बार विधायक रहे थे. इस बार मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजद ने दिवंगत विधायक बिजय रंजन सिंह बरिहा की बेटी बर्षा सिंह बरिहा को टिकट दिया है. इससे पदमपुर में बिंझाल समुदाय के प्रभाव का पता चलता है जिसके तकरीबन 40,000 मतदाता हैं.


कुल्टा और मेहर समुदाय के मतदाता ज्याादा


हालांकि, सीएम पटनायक उम्मीदवार का नाम घोषित करने से पहले पदमपुर में रहने वाले कुल्टा और मेहर समुदायों के लोगों को रिझाना नहीं भूले थे. उन्होंने चुनाव से पहले कुल्टा और मेहर समुदाय के लिए कई परियोजनाओं को मंजूरी दी है. कुल्टा समुदाय के मतदाताओं की संख्या करीब 30,000 और मेहर समुदाय के मतदाताओं की संख्या करीब 20,000 हजार है.


सीट पर अनुसूचित जाति के 28.63 प्रतिशत मतदाता हैं. दलित और आदिवासी मतदाताओं की कुल संख्या 44.48 प्रतिशत हो जाती है. शेष मतदाता अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के हैं, जबकि बहुत कम लोग सामान्य जातियों के हैं. पदमपुर में माली, ब्राह्मण, यादव, कुंभार और अगरिया जैसी जातियों की भी अच्छी खासी मौजूदगी है.


बीजद और बीजेपी का अपना-अपना समीकरण


मुख्यमंत्री ने कुल्टा समाज के सदस्य और ओडिशा प्रशासनिक सेवा के पूर्व सदस्य महेंद्र बडेई को बीजद में शामिल किया और उन्हें पार्टी का प्रवक्ता बनाया है. बडेही को शुक्रवार को बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक की चुनावी रैली में जनता को संबोधित करने की अनुमति भी दी गई थी. इसमें बीजेपी भी पीछे नहीं है. उसने गुरुवार को कांग्रेस के पूर्व सांसद संजय भोई को पार्टी में शामिल कर लिया. इससे पार्टी का मकसद कुल्टा समाज के मतों को हासिल करना है.


कांग्रेस ने बीजद और बीजेपी पर कसा तंज


बता दें कि पूर्व सांसद संजय भोई के पिता कृपासिंधु भोई बारगढ़ लोकसभा सीट से चार बार सांसद रहे और संजय भोई के भाजपा में शामिल होने से उपचुनाव में बीजद और कांग्रेस दोनों की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं. केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उपचुनाव से पहले समुदायों को रिझाने के लिए पटनायक की आलोचना की है.


वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक संतोष सिंह सलूजा ने बीजद और भाजपा की 'समुदाय आधारित राजनीति' करने के लिए आलोचना की और इसके माध्यम से लोगों को विभाजित करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, 'ओडिशा के लोगों ने पहले जाति की राजनीति को खारिज कर दिया था और अब वे समुदाय की राजनीति करने वालों को भी सबक सिखाएंगे.'


दूसरी ओर बीजद विधायक सुशांत सिंह ने दावा किया कि पदमपुर विधानसभा सीट पर सभी जाति और समुदाय के लोग उनकी पार्टी का समर्थन करते हैं, क्योंकि पटनायक सभी लोगों के लिए काम करते हैं.


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