नई दिल्ली: इंदौर में ‘डॉक्टर दादी’ के नाम से मशहूर भक्ति यादव, नेत्रहीनों के भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान शेखर नाइक समेत कई गुमनाम हस्तियों को पद्मश्री के लिए नामित किया गया है. पद्मश्री पुरस्कारों की सूची में पिछले साल रियो ओलंपिक में जिमनास्टिक में चौथे स्थान पर रही दीपा कर्माकर, रियो पारालम्पिक में स्वर्ण पदक विजेता मरियप्पन थंगावेलू के नाम शामिल हैं.



मरियप्पन थंगावेलू

सैकड़ों बच्चों के जन्म में मदद


गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, इस साल पद्म पुरस्कारों में मुख्य जोर देश के गुमनाम लोगों की प्रतिभाओं को मान्यता प्रदान करने पर रहा. 91 साल की यादव एमबीबीएस डिग्री धारक इंदौर से पहली महिला हैं. वे पिछले 68 सालों से मरीजों का नि:शुल्क उपचार कर रही है और सैकड़ों बच्चों के जन्म में मदद की.


थंगवेलू ने 2016 में रियो ओलंपिक में जीता स्वर्ण पदक


30 साल की नाइक ने नेत्रहीनों की भारतीय क्रिकेट टीम की 2012 में टी20 विश्व कप में और 2014 में एक दिवसीय विश्व कप में जीत में भारतीय टीम का नेतृत्व किया. वे गरीब पृष्ठभूमि वाले परिवार से आए है और 12 साल की आयु में माता-पिता को खोने के बाद काफी कठिनाइयों का सामना किया. जबकि थंगवेलू ने 2016 में रियो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता. वह दाहिने पैर में अशक्तता के शिकार है.


58 सालों से आदिवासी लोक संगीत का प्रदर्शन


त्रिपुरा से आने वाली 23 साल की जिमनास्ट कर्माकर ने पुराने और बेकार हो चुके स्कूटर से पुजरे के उपयोग से बनाये गए उपकरणों से अभ्यास किया. जिमनास्टिक के इतिहास में वह केवल पांचवी महिला हैं जिन्होंने प्रोदूनोवा कलाबाजी की. ‘हलाक्की की बुलबुल’ के नाम से मशहूर कर्नाटक की सुकरी बोम्मागौड़ा को 58 सालों से आदिवासी लोक संगीत का प्रदर्शन करने के लिए पद्मश्री के लिए चुना गया.


81 साल की इला अहमद को पद्मश्री के लिए चुना


‘रंगाबती की आवाज’ के नाम से मशहूर और पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले जितेन्द्र हरिपाल को ओडिशा के लोकप्रिय संगीत ‘रंगाबती’ के क्षेत्र में योगदान को मान्यता प्रदान करते हुए पद्मश्री के लिए चुना गया. साल 1970 से पूर्वोत्तर में महिलाओं की एकमात्र पत्रिका चलाने के लिए असम की 81 साल की इला अहमद को पद्मश्री के लिए चुना गया.



‘ग्रैनी विद द सोर्ड’ के नाम से मशहूर हैं मीनाक्षी अम्मा


सालों से मार्शल आर्ट्स क्लास शुरू करने और इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए केरल की 76 साल की मीनाक्षी अम्मा को पद्मश्री के लिए चुना गया. वह ‘ग्रैनी विद द सोर्ड’ के नाम से मशहूर हैं.