जांजगीर-चंपा: कुष्ठरोगियों के उपचार और उनकी सेवा में जीवन समर्पित कर देने वाले प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता व पद्मश्री से सम्मानित दामोदर गणेश बापट का छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह 84 साल के थे. अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ बापट को पिछले महीने ब्रैन हेमरेज के बाद बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था.’’अधिकारी ने बताया कि उन्होंने शुक्रवार रात आखिरी सांस ली.
भारतीय कुष्ठ निवारक संघ (बीकेएनएस) द्वारा संचालित आश्रम के कर्मी दीपक कुमार कहरा ने कहा, ‘‘पिछले साढ़े चार दशक से बापट ने राज्य के जांजगीर-चंपा जिले के सोथी गांव में भारतीय कुष्ठ निवारक संघ द्वारा संचालित एक आश्रम में कुष्ठरोगियों के उपचार एवं सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया था.’’
बापट का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ था. वह अपने पिता के निधन के बाद 1970 में छत्तीसगढ़ के जसपुर (अब जिला) में आ गये थे और आरएसएस से संबद्ध वनवासी कल्याण आश्रम से जुड़ गये थे. उन्होंने बताया कि वह चंपा में बीकेएनएस के माध्यम से कुष्ठ रोग के क्षेत्र में काम कर रहे डॉ. सदाशिव काटरे के कार्य से प्रभावित हुए और 1972 में आश्रम से जुड़ गये। तब से वह आश्रम में काम कर रहे थे.
वर्ष 2018 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया. बापट का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह आश्रम लाया गया और जहां लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
कहरा ने बताया कि पार्थिव शरीर बाद में बिलासपुर के छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान को सौंप दिया गया क्योंकि बापट ने अपना शरीर दान कर दिया था. इस बीच राज्यपाल अनुसुइया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बापट के निधन पर गहरा दुख प्रकट किया है.
राज्यपाल ने एक बयान में कहा, ‘‘उन्होंने दूसरों की सेवा और मानवता के कार्यों में अपना जीवन समर्पित कर दिया। श्री बापट ने कुष्ठ रोगियों की सेवा में जीवन समर्पित कर अनुकरणीय कार्य किया जो सदैव दूसरों को प्रेरित करता रहेगा. ’’ मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा, ‘‘श्री बापट ने आश्रम में कुष्ठरोगियों की सेवा के साथ ही उनके पुनर्वास के लिए कई पहलें कीं.’’