New Parliament Inauguration: 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करने वाले हैं. नए संसद भवन के साथ ही सेंगोल भी काफी सुर्खियों में है. 2021 में पहली बार सेंगोल को लेकर भरतनाट्यम की मशहूर नृत्यांगना पद्मा सुब्रमण्यम ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखा था.
पद्मा सुब्रमण्यम को उस समय यकीन नहीं था कि सेंगोल को लेकर लिखा गया उनका पत्र एक बड़े कार्यक्रम में तब्दील हो जाएगा. दरअसल, इस पत्र में सेंगोल पर लिखे गए एक तमिल लेख का अनुवाद था. दो साल बाद अब सेंगोल यानी राजदंड को प्रयागराज के नेहरु म्यूजियम से लाकर नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा.
'शक्ति और न्याय का प्रतीक है सेंगोल'
इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में पद्मा सुब्रमण्यम ने कहा कि तुगलक मैग्जीन में एक तमिल लेख छपा था. मैं सेंगोल पर लिखे गए इस लेख की ओर काफी आकर्षित हुई. यह 1978 में चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती की ओर से अपने शिष्य डॉ. सुब्रमण्यम को सेंगोल के बार में बताने और किताबों में इसके बारे में लिखे जाने पर था.
उन्होंने कहा कि तमिल संस्कृति में सेंगोल काफी महत्वपूर्ण है. छत्र, सेंगोल और सिंहासन मुख्य रूप से राजा की शक्तियों के बारे में हैं. सेंगोल को शक्ति और न्याय का प्रतीक माना गया है. ये कोई ऐसी चीज नहीं है, जो एक हजार साल पहले आई. तमिल इतिहास में चेरा राजवंश तक इसके तार जुड़ते हैं.
'लोगों की नजरों से गायब हो गया सेंगोल'
डॉ. पद्मा सुब्रमण्यम ने बताया कि मैं जानना चाहती थी कि सेंगोल कहां है. उस लेख में कहा गया था कि जवाहरलाल नेहरु को दिया गया सेंगोल आनंद भवन में रखा गया था. सेंगोल वहां कैसे पहुंचा और नेहरु से इसका रिश्ता भी बड़ा रोचक है. उन्होंने बताया कि नेहरु को दिए जाने के बाद से सेंगोल कभी सत्ता हस्तांतरण के मौके पर नहीं दिखा.
कौन हैं पद्मा सुब्रमण्यम?
भरतनाट्यम की प्रसिद्ध नृत्यांगना पद्मा सुब्रमण्यम का जन्म 4 फरवरी 1943 में हुआ था. पद्मा के पिता प्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देशक और मां एक संगीतकार थीं. पद्म भूषण और पद्म श्री जैसे पुरस्कारों के साथ ही उन्हें कई विदेशी पुरस्कार भी मिले हैं. पद्मा सुब्रमण्यम ने 14 साल की उम्र में ही बच्चों को भरतनाट्यम सिखाना शुरू कर दिया था.
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