श्रीनगर: अमरनाथ यात्रा को लेकर बने असमंजस के बीच यात्रा की इजाज़त दने की मांग भी उठाने लगी है. यात्रा के पारंपरिक रास्ते, पहलगाम में यात्रा से जुड़े कई लोगों ने मांग की है कि सीमित संख्या में ही सही यात्रा को चलाने की अनुमति दी जानी चाहिए. लोगों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर अब कमज़ोर पड़ चुकी है और बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन भी लगाया गया है. इस साल अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू होनी है और 22 अगस्त तक चलनी है.


पहलगाम पोनी एसोसिएशन के अध्य्क्ष अब्दुल वहीद वानी के अनुसार करीब तीस हज़ार घोड़े-वाले सीधे तौर पर अमरनाथ यात्रा के जुड़े होते हैं और उनके साल भर का रोज़गार यात्रा के उपर निर्भर रहता है. अगर इस बार भी यात्रा नहीं हुई तो बहुत सारे लोग भुखमरी का शिकार हो सकते हैं. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से अपील करते हुए कहा, “अब तो कोरोना भी कमज़ोर पड़ने लगा है, इसीलिए पहलगाम और बालतल दोनों रास्तों से यात्रा शुरू करनी चाहिए.”


पहलगाम में पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग पिछले दो सालों से बुरी तरह से प्रभावित रहे हैं  जिसके चलते हालात की मार झेल रहे लोग परेशान हैं. पहलगाम में टैक्सी चलाने वाले नज़ीर अहमद का कहना है कि बहुत सारे युवाओं ने कर्ज़ लेकर गाड़ियां खरीदी हैं और उनकी कमाई का जरिया या तो पर्यटन होता है या फिर यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्री होते हैं. उन्होंने कहा, “"हमारे कर्ज़े की क़िस्त, घर का खर्चा और पूरा परिवार यात्रा से होने वाली कमाई पर चलता है. हम सरकार से कोरोना गाइडलाइंस के साथ यात्रा खोले जाने की अपील करते हैं.”


पहलगाम में अमरनाथ यात्रा के लिए बने नुनवन बेस कैंप में आज अभी भी सन्नाटा है. आम तौर पर यात्रा शुरू होने से दो महीने पहले यहां पर अमरनाथ श्राइन बोर्ड का कैंप ऑफिस शुरू हो जाता था. लंगर और तीर्थ यात्रियों के लिए टेंट लग जाते थे. लेकिन आज यात्रा की तिथि करीब होने के बावजूद भी कोई काम नहीं हो रहा है. सिर्फ कैंप के आस-पास सुरक्षाकर्मी तैनात हैं.


लेकिन ऐसा नहीं है कि प्रशासन अपनी तरफ से तैयारी नहीं कर रहा है. पहलगाम से आगे चंदनवारी में यात्रा के ट्रैक को ठीक करने के साथ-साथ पूरे ट्रैक पर सीमेंट लगाने का काम जारी है. साथ ही गुफा तक सामान ले जाने का काम भी जारी है. ट्रैक पर काम करने वाले हमीद ने कहा, “हम तो चाहते हैं कि यात्रा हो. लेकिन फैसला तो बड़े लोगों को करना है.”


पिछले साल कोरोना संक्रमण के चलते यात्रा को स्थगित किया गया था और यात्रा के पहले और आखिरी दिन विशेष पूजा का आयोजन हुआ था. लेकिन किसी भी यात्री को गुफा पर जाने की अनुमति नहीं दी गयी थी. 


श्राइन बोर्ड से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, “पिछले साल की तरह इस बार भी हालात को देखते हुए अमरनाथ यात्रा का सामान्य रूप से होना मुश्किल लग रहा है. लेकिन यात्रा हो या नहीं इसके बावजूद भी हर दिन सुबह और शाम की आरती का सीधा प्रसारण होगा.”


अमरनाथ यात्रा पर अंतिम फैसला श्राइन बोर्ड अगले आठ-दस दिनों में ले सकती है जिसमें सुरक्षा हालात और कोरोना महामारी की स्थिति और संक्रमण की दर के आधार पर फैसला होगा. यात्रा के लिए पंजीकरण का काम 1 अप्रैल से शुरू किया गया था लेकिन उसके बाद कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते इस पर रोक लगा दी गयी थी. एक अधिकारी ने कहा,  "लोगों की आस्था का पूरा आदर करते हुए श्राइन बोर्ड अपना अंतिम फैसला लेगा लेकिन किसी भी हाल में यात्रा को ‘सुपरस्प्रेडर’ का कारण बनने नहीं दिया जा सकता.”


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