Pahalgam Terror Attack : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार (22 अप्रैल) को हुए 4 आतंकवादियों ने कश्मीर की वादियों में घूमने आए पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी. इस हमले में अब तक 28 लोगों की जान जा चुकी है और 17 लोग घायल हैं. हमले के चश्मदीदों ने बताया कि आतंकवादी लोगों से उनका नाम और धर्म पूछकर उन्हें अपना निशाना बना रहे थे. कई लोगों ने यह भी कहा कि आतंकी लोगों से कलमा पढ़ने के लिए कह रहे थे. ऐसे में जो भी कलमा पढ़कर सुनाता था, वे उन्हें छोड़ देते थे. इसी तरह असम यूनिवर्सिटी में बंगाली डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य ने अपनी जान बचा ली क्योंकि वह कलमा पढ़ना जानते थे.
प्रोफेसर ने बताया हमले के दौरान का खौफनाक मंजर
प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य ने एक चैनल से बातचीत में बताया कि जब पहलगाम में आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला किया था, तब वह अपने परिवार के साथ वहीं मौजूद थे और आतंकियों के डर के एक पेड़ के नीचे लेटे हुए थे. उन्होंने कहा, “मैं अपने परिवार के साथ पेड़ के नीचे लेटा हुआ था. तभी अचानक मैंने सुना कि मेरे आसपास मौजूद सभी लोग जोर-जोर से कलमा पढ़ रहे थे. यह सुनकर मैंने भी कलमा पढ़ना शुरू कर दिया. तभी एक आतंकी मेरी ओर बढ़ा और मेरे बगल में लेटे शख्स के सिर में गोली मार दी.”
अभी भी जिंदा हूं, यकीन नहीं हो रहा है- प्रोफेसर
उन्होंने आगे कहा, “इसके बाद वह आतंकी मेरी और बढ़ा ओर पूछा कि क्या कर रहे हो, तभी मैं और जोर से कलमा पढ़ने लगा. जिसके बाद वह आगे बढ़ गया. फिर मैं मौका पाते ही अपने पत्नी और बेटे के साथ वहां से छिपते हुए किसी तरह से होटल पहुंचने में कामयाब हो गया.” प्रोफसर देबाशीष भट्टाचार्य ने कहा कि मुझे अभी इस बात पर यकीन नहीं हो रहा है कि मैं अभी भी जिंदा हूं.