Medical Students Future Crisis: रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते यूक्रेन से भारत लौटे तकरीबन 20 हजार मेडिकल छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. क्योंकि एनएमसी (NMC) ने यूक्रेन के मोबिलिटी प्रोग्राम को मान्यता देने से इंकार कर दिया है. नेशनल मेडिकल काउंसिल ने एक लिस्ट जारी करते हुए ये साफ किया है कि वह यूक्रेन से भारत लौटे मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को यूक्रेन की सरकार द्वारा पेश किए जा रहे मोबिलिटी प्रोग्राम को मान्यता नही दे सकता है. इससे भारतीय मेडिकल छात्रों को भी भविष्य की चिंता सताने लगी है. यूक्रेन से लौटे छात्रों का दर्द है कि फीस के लिए एक तरफ मेल आ रहे हैं. जबकि दूसरी तरफ एमएनसी ने मोबिलिटी प्रोग्राम को मान्यता देने से इंकार कर दिया है.
1 सितंबर से शुरू होने वाले सेमेस्टर से पहले यूक्रेनी विश्वविद्यालय ने सभी भारतीय छात्रों को मोबिलिटी प्रोग्राम का विकल्प दिया है. स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम (SEP) के तहत भारतीय छात्र अगले कुछ सेमेस्टर के लिए दूसरे विश्वविद्यालयो में पढ़ाई करने का विकल्प चुन सकते हैं. जिसे एनएमसी (National Medical Council Of India) ने मान्यता देने से इंकार कर दिया है. छात्रों को मोबिलिटी प्रोग्रम की पेशकश को मान्यता देने से इनकार करने के अलावा एनएमसी ने स्पष्ट किया कि भारतीय मेडिकल कॉलेजों में उन्हें समायोजित करने का विकल्प भी नहीं है. जिससे यूक्रेन से भारत लौटे छात्रों में निराशा है. उन्हें अपने आने वाले भविष्य को लेकर डर सता रहा है.
छात्रों की यह हैं समस्याएं
Case Study 1- मुंबई के घाटकोपर के रहने वाले सुलेमान शेख यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए थे. रशिया और यूक्रेन के बीच में युद्ध शुरू होने की वजह से इन्हें वतन वापस लौटना पड़ा था. नेशनल मेडिकल काउंसिल द्वारा मोबिलिटी प्रोग्राम को मान्यता नही दिए जाने के बाद सुलेमान केंद्र सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि केंद्र सरकार अब इस पूरे मामले में हस्तक्षेप करें. क्योंकि अब 6 महीने से ज्यादा का समय बीत गया है. इन्हें नेशनल मेडिकल कॉउंसिलिंग से उम्मीद थी कि (NMC) मोबिलिटी प्रोग्राम को मान्यता देगी, लेकिन अब उसने इंकार कर दिया है. दूसरी ओर ऑनलाइन पढ़ाई को भी मान्यता नहीं दी जा रही है. ऐसे में सुलेमान को डर सता रहा है कि आने वाले 1 सितंबर से जब अगला सेमेस्टर शुरू होगा तो उसकी तैयारी कैसे करेंगे.
Case Study 2- घाटकोपर के रहने वाले जयेश शलमलकर यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले दूसरे छात्र है. जो इस वक्त चौथे साल (Fourth Year) में हैं. NMC द्वारा मोबिलिटी प्रोग्राम को मान्यता ना देने की वजह से वह काफी नाराज हैं. दूसरी ओर कॉलेज से फीस भरने को लेकर मेल आ रहे है. जयेश को भी NMC से काफी सारी उम्मीदें थीं, लेकिन अब इनके पास निराशा जताने के अलावा और कुछ नहीं बचा है. जयेश केंद्र सरकार से मदद की उम्मीद लगाकर बैठे हैं. साथ ही साथ यूक्रेन और रूस के बीच परिस्थिति सामान्य होने का इंतजार कर रहे है. ताकि एक बार फिर ये यूक्रेन जाकर अपनी बची हुई पढ़ाई पूरी कर सकें.
मुंबई कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष ने दिया यह बयान
यूक्रेन से भारत लौटे मेडिकल छात्रों की समस्या को लेकर बात करते हुए मुंबई कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष चरण सिंह सप्रा ने शिंदे-फडणवीस सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, ‘जब राज्य में महा विकास आघाडी की सरकार थी. तब हमने इन बच्चों की समस्याओं पर ध्यान देते हुए "अकोमोडेशन" का प्लान बनाने का विचार कर रहे थे. ताकि बच्चो की बची हुई पढ़ाई को कोई नुकसान ना पहुंचे. लेकिन बीच मे सरकार बदल गई. (शिंदे- फडणवीस) की सरकार आ गई. मुझे लगता है कि बच्चों के विषय मे इस सरकार को गंभीरता से सोचने की जरूरत है. मेरी सरकार से गुज़ारिश है कि बच्चों के "अकोमेडेशन" वाले निर्णय को ना पलटें. बच्चो के हितों को ध्यान में रखते हुए फैसला किया जाए.’
यह भी पढ़ें
Breaking News Live: गुजरात पहुंचे केजरीवाल-सिसोदिया, सीएम बोले- राज्य में AAP की सरकार बनेगी