नयी दिल्ली: आंतरिक सुरक्षा पर गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिये पाकिस्तान ने कट्टरपंथियों की मदद से स्थानीय जनता के प्रतिरोध को उकसावा देना शुर किया है.


मंत्रालय की साल 2016-17 की वाषिर्क रिपोर्ट के अनुसार राज्य में जारी आतंकवाद का सीधा संबंध सीमापार घुसपैठ से है. इसमें नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा दोनों से होने वाली आतंकवादियों की घुसपैठ शामिल है. हालांकि साल 2016 में पाकिस्तान ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुये घुसपैठ के बजाय कट्टरपंथियों के सहारे स्थानीय प्रतिरोध को बढ़ावा देने के लिये निहित स्वार्थ से प्रेरित गुटों और सोशल मीडिया को हथियार बनाया है.


रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 की तुलना में पिछले साल आतंकी हिंसा और इसकी वजह से सुरक्षा बल के जवानों की शहादत की घटनाओं में खासा इजाफा हुआ है. इस अवधि में स्थानीय नागरिकों की मौत की घटनायें कम हुई हैं.


रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि साल 2015 की तुलना में पिछले साल आतंकी घटनाओं में 54.81 प्रतिशत और सैन्य बल के जवानों की शहादत में 110.25 प्रतिशत बढ़ोतरी हुयी. वहीं आतंकी वारदातों के शिकार हुये स्थानीय लोगों की संख्या में 11.76 प्रतिशत कमी दर्ज की गयी है जबकि सुरक्षा बलों की कार्रवाई में आतंकवादियों के खात्मे की दर में 38.89 प्रतिशत बढ़ोतरी हुयी है.


रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल जम्मू कश्मीर क्षेत्र में हिंसा की 322 घटनायें दर्ज की गयीं. इनमें सुरक्षा बल के 82 जवान शहीद हुये जबकि 150 आतंकवादियों और 15 स्थानीय नागरिकों की मौत हुयी. वहीं साल 2015 में आतंकी हिंसा की 208 वारदातों में 39 जवान शहीद हुये और 108 आतंकवादी तथा 17 स्थानीय नागरिक मारे गये थे.


रिपोर्ट में सीमापार से आतंकवादियों की घुसपैठ में साल 2015 की तुलना में पिछले साल इजाफे की बात कही गयी है. इसके अनुसार साल 2016 में घुसपैठ की 364 कोशिशें की गयीं थीं. इनमें से 112 आतंकी घुसपैठ करने में कामयाब रहे जबकि साल 2015 में घुसपैठ के 212 प्रयासों में 33 आतंकी कश्मीर में घुसपैठ करने में कामयाब रहे.