नई दिल्लीः पाकिस्तान है कि अपनी करतूतों से बाज नहीं आता. मौका इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में मेहमान बनकर पहुंचे नवजोत सिंह सिद्धू की सीट के बहाने सियासत का हो या फिर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के अंतेयष्टि कार्यक्रम में शोक संदेश लेकर आई टीम में आतंकी साजिशकर्ता डेविड हेडली के भाई को भेजने का. भारत के घावों को कुरेदने का कोई न कोई बहाना पाकिस्तान तलाश ही लेता है.


दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अंतेष्टि कार्यक्रम में शरीक होने के लिए 17 अगस्त को पाकिस्तान की कार्यवाहक सरकार के कानून व सूचना प्रसारण मंत्री अली जाफर भारत आए थे. उनके साथ आए तीन अधिकारियों में एक चेहरा डेनियल गिलानी भी थे. डेनियल मुंबई आतंकी हमले की साजिश को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाने वाले लश्कर आतंकी डेविड हेडली के भाई (हाफ-ब्रदर) हैं. दोनों के पिता एक ही थे मगर मां अलग-अलग हैं.



हालांकि पाकिस्तान सिविल सेवा के अधिकारी डेनियल गिलानी अपने सार्वजनिक बयानों में यह स्पष्ट कर चुके हैं कि उनका अपने दूर के भाई दाऊद गिलानी उर्फ डेविड हेडली से कोई संपर्क नहीं है. आखिरी बार दोनों की मुलाकात पिता सैय्यद सलीम गिलानी की मौत के वक्त दिसंबर 2008 में हुई थी. साथ ही इस बात से भी इनकार किया था कि उन्हें डेविड हेडले के आतंकी संपर्कों के बारे में कोई जानकारी थी. मुंबई आतंकी हमले के वक्त गिलानी पाक प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के कार्यालय में जनसंपर्क अधिकारी थे. करीब दो साल पहले हेडली ने ही मुंबई हमले पर वीडियो सुनवाई के दौरान बताया था कि पाक प्रधानमंत्री 26/11 की वारदात के बाद उनके पिता की मौत पर शोक जताने के लिए घर आए थे.


पाक सूत्रों के मुताबिक डेनियल गिलानी पाकिस्तान सरकार के सूचना मंत्री कार्यालय के निदेशक भी हैं और केंद्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड के चेयरमैन भी. यही वजह रही कि वो पाकिस्तान के कार्यवाहक सूचना प्रसारण मंत्री के साथ पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के अंतिम संस्कार कार्यक्रम के लिए भारत आए. डेनियल उस बैठक में भी मौजूद थे जब अली जाफर ने पाकिस्तान सरकार और जनता की तरफ से पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के निधन पर शोक जताने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की थी. मगर, इस बात की तस्दीक नहीं हो पाई कि क्या डेनियल राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के अंत्येष्टि कार्यक्रम में भी मौजूद थे.


इस बीच भारत-पाक संबंधों के जानकार इस बात को लेकर सवाल उठा रहे हैं कि इमरान खान के शपथ समारोह में सिद्धू को पीछे की सीट से उठाकर पीओके के सदर मसूद खान के करीब बैठाने का हो या फिर डेनियल गिलानी को भारत भेजने का फैसला. विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान मामलों के संयुक्त सचिव रहे पूर्व राजदूत दिलिप सिन्हा कहते हैं कि दोनों ही घटनाएं ऐसी है जिनमें पाकिस्तान को भारत की संवेदनशीलताओं का ध्यान रखते हुए विवाद को टालना चाहिए था. डेविड हेडली से दूर का ही नहीं लेकिन नाता रखने वाले शख्स को ऐसे मौके पर भारत नहीं भेजा जाना चाहिए था.


सिन्हा के मुताबिक इमरान खान को लेकर भारत की तरफ से कुछ भी ऐसा नहीं कहा गया जो माहौल को खराब करता हो. लेकिन जिस तरह के संकेत पाकिस्तान की तरफ से बीते कुछ दिनों में आए हैं वो उत्साह बढ़ाने वाले नहीं हैं. मामला भारतीय उच्चायुक्त के साथ मुलाकात में इमरान खान द्वारा धुर भारत विरोधी शिरीन मजार को साथ बैठाने का हो या फिर कश्मीर को कोर मुद्दा जताने की बात. इतना ही नहीं जिस तरह पाकिस्तान सेना प्रमुख ने कथित तौर पर नवजोत सिंह सिद्धू से करतारपुर के लिए रास्ता खोलने की बात की उससे कहीं न कहीं एक सोचे समझे प्लान की तस्वीर नजर आती है. ऐसे में भारत को काफी फूंक-फूंक कर कदम उठाना चाहिए.


पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों पर कैंची चलाने वालों में हैं डेनियल


डेनियल गिलानी पाक सेंसर बोर्ड चेयरमैन की हैसियत से पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों के प्रसारण पर कैंची चलाने वालों में शामिल हैं. महज दो हफ्ते पहले उन्होंने आतंकवाद और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर बनी बॉलिवुड फिल्म 'मुल्क' के पाकिस्तान में प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था. उनके इस फैसले के खिलाफ निर्देशक अनुभव सिन्हा ने तो खीझकर पाकर दर्शकों से अवैध तरीके से फिल्म देखने की अपील कर डाली. इससे पहले मई में करीना कपूर और सोनम कपूर स्टारर वीरे दी वेडिंग को भी पाकिस्तानी दर्शकों के लिए अनफिट करार देते हुए उसके पाक में प्रसारण पर रोक लगाई थी.