CAA के तहत गोवा में पहली बार मिली पाकिस्तानी शख्स को नागरिकता, 43 साल बाद कहलाएंगे भारतीय!
पाकिस्तान के कराची शहर में पैदा हुए एक शख्स को 43 साल के बाद भारतीय नागरिकता मिली. गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने बताया कि सीएए के तहत अप्लाई करने के तीन महीने के अंदर ही उसे नागरिकता दी गई.
Pakistan Man Indian citizenship: गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने मंगलवार (10 दिसंबर, 2024) को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के तहत पाकिस्तान में जन्मे ईसाई व्यक्ति को भारतीय नागरिकता प्रमाण पत्र दिया. कराची में जन्मे शेन सबेस्टियन परेरा अपने जन्म के चार महीने बाद ही गोवा में अपने पैतृक गांव में रहने के लिए भारत आ गए, लेकिन उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने में 43 साल लग गए. शेन गोवा राज्य से प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले दूसरे व्यक्ति हैं, इससे पहले जोसेफ फ्रांसिस परेरा एक अन्य पाकिस्तानी नागरिक थे, जिन्हें इस साल अगस्त में भारतीय नागरिकता दी गई थी.
मूल रूप से उत्तरी गोवा के अंजुना में डेमेलो वाडो के रहने वाले शेन ने कहा कि उनके माता-पिता कराची चले गए थे, जहां अगस्त 1981 में उनका जन्म हुआ था. उनके जन्म के चार महीने बाद, परिवार वापस गोवा चला गया, जहां उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. उन्होंने 2012 में भारतीय नागरिक मारिया ग्लोरिया फर्नांडीस से विवाह किया.
43 साल बाद मिली भारतीय नागरिकता
शेन सबेस्टियन परेरा ने कहा "पिछले कुछ सालों से वह भारतीय नागरिकता लेने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन असफल रहे. आखिरकार जोसेफ (परेरा) से प्रेरित होकर मैंने फिर से नागरिकता के लिए आवेदन किया." प्रमाण पत्र में लिखा गया है कि शेन धारा 6बी के प्रावधानों के तहत भारत के नागरिक के रूप में रजिस्टर्ड हैं, जो नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 5(1)(सी) के तहत शर्तों को पूरा करते हैं.
सीएए पर क्या बोले मुख्यमंत्री ?
समारोह के दौरान पूछे गये एक सवाल "सीएए से गोवा के लोगों को क्या लाभ होगा?" इस पर मुख्यमंत्री ने कहा, "शेन यह प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले दूसरे गोवावासी हैं, और कई अन्य लोगों ने आवेदन किया है, जिनके आवेदन अभी प्रक्रिया में हैं," उन्होंने कहा कि सीएए से कई गोवावासियों को लाभ होगा. सीएए के तहत नागरिकता के लिए शेन के आवेदन को तीन महीने के भीतर मंजूरी दे दी गई थी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अधिनियम को लागू करने के फैसले से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों में फंसे हिंदुओं, ईसाइयों, जैनियों, पारसियों, बौद्धों और सिखों को मदद मिलेगी.