Pakistan Election Latest Updates: जेल में बंद इमरान खान की पार्टी पीटीआई समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने नेशनल असेंबली चुनावों में पाकिस्तान सेना और नवाज शरीफ को करारा झटका दिया है. इन निर्दलीय उम्मीदवारों ने शरीफ की पीएमएल (एन) पर लगातार बढ़त बनाए रखी है. इसके बावजूद नवाज शरीफ ने यह जानते हुए कि उनके पास बहुमत नहीं है, फिर भी जीत की घोषणा की है.


नवाज शरीफ की इस घोषणा से उनके समर्थकों के बीच उनके चौथी बार प्रधानमंत्री बनने की उम्मीदें बढ़ गई है. वहीं, दूसरी तरफ निर्दलीय उम्मीदवारों की चिंता बढ़ गई है. उन्हें डर सता रहा है कि कहीं सेना उन्हें नवाज शरीफ का समर्थन करने के लिए उकसाना न शुरू करे. इन सबसे अलग नवाज शरीफ की वापसी का एक और पहलु है जो भारत से जुड़ा है. पाकिस्तान मामलों के जानकार मानते हैं कि नवाज शरीफ अगर पीएम बनते हैं तो भारत पाकिस्तान के रिश्तों पर इसका अलग असर पड़ेगा. आइए जानते हैं नवाज शरीफ के पीएम बनने के भारत के लिए क्या मायने हैं.


नरेंद्र मोदी और शरीफ के बीच रही है दोस्ती!


नवाज शरीफ को अभी सेना का भी समर्थन मिला हुआ है. इसके अलावा नवाज शरीफ ने अपने कार्यकाल में हमेशा भारत से बातचीत करने और रिश्तों को बेहतर बनाने की कोशिश की है. मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी के साथ भी उनके अच्छे संबंध हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर नवाज की वापसी होती है तो भारत-पाक के बीच बातचीत भी पटरी पर आ सकती है.


दरअसल, 2020 में पीएम नरेंद्र मोदी की मां की मौत पर नवाज शरीफ ने शोक व्यक्त किया था. इस पर मोदी ने धन्यवाद अदा करते हुए नवाज शरीफ को पत्र लिखा और 2015 में रायविंड में शरीफ के घर जाने पर उनके साथ हुई बातचीत को याद किया, जबकि मोदी के दौरे के बाद पठानकोट पर हमला हुआ था, लेकिन उन्होंने नवाज शरीफ की छवि खराब नहीं मानी. इससे साफ है कि भारतीय प्रधानमंत्री मानते हैं कि शरीफ का दिल सही जगह पर है. शरीफ ने इमरान खान की तरह भारत के खिलाफ कभी गलत बयानबाजी नहीं की है. इमरान खान की मोदी के खिलाफ असंयमित बयानों ने भी भारत और पाकिस्तान के बीच माहौल खराब किया और बातचीत नहीं होने दी.


भारत से दोस्ती के लिए शरीफ को इन पर देना होगा ध्यान!


नवाज शरीफ को अब आतंकवाद पर एक अधिक विकसित भारतीय रुख को ध्यान में रखना होगा और ठोस कदम उठाने होंगे. नवाज को जम्मू-कश्मीर के मामले में भी अपनी सोच बदलनी होगी. उसे अनुच्छेद 370 को वापस लेने की पूर्व शर्त को छोड़ना होगा. नवाज शरीफ को यह भी स्वीकार करना होगा कि पाकिस्तान ने अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाकर और भारत के साथ व्यापार बंद करके अच्छा नहीं किया. यदि शरीफ ऐसा करते हैं तो माना जा रहा है कि भारत की तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल सकती है.


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