Bilawal Bhutto Zardari On PM Modi: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मिली लताड़ के बाद पाकिस्तान बौखला गया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. बिलावल भुट्टो जरदारी ने ने न्यूयॉर्क में अपनी प्रेस मीट में पीएम मोदी को "गुजरात का कसाई" कहा है. बिलावल ने कहा, "ओसामा बिन लादेन मर गया है, लेकिन गुजरात का कसाई नरेंद्र मोदी अभी भी जीवित है.


बिलावल ने गुरुवार को न्यूयॉर्क में एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से कहा कि भारत सरकार गांधी की विचारधारा में विश्वास नहीं करती है, बल्कि उनके हत्यारे के सिद्धांतों में विश्वास करती है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार हिटलर से प्रभावित है. पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने में भारत की भूमिका की निंदा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान में आतंकवादी तत्वों को पड़ोसी देश से समर्थन मिल रहा है. उन्होंने कहा कि विदेशी तत्व सक्रिय रूप से बलूचिस्तान में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.


'पाकिस्तान में आतंकवाद विदेशी ताकतों से प्रायोजित है'


बिलावल ने कहा कि लाहौर में जौहर टाउन विस्फोट में भारतीय संलिप्तता के सबूत हैं. उन्होंने मांग की कि पाकिस्तान में आतंकवाद के लिए जिम्मेदार तत्वों को कानून के कठघरे में लाया जाए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आतंकवाद विदेशों से प्रायोजित है. उन्होंने आतंकवादी समूहों को सीमा पार से प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्राप्त करने से रोकने की आवश्यकता पर बल दिया. विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान को अपनी उपलब्धियों पर गर्व है, क्योंकि देश ने आतंकवाद के खिलाफ राष्ट्रीय कार्य योजना के संबंध में ठोस कदम उठाए हैं.


'मुस्लिम देशों को दोष देना गलत है'


उन्होंने कहा कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए पाकिस्तान के कदमों का समर्थन किया है. बिलावल ने यह भी कहा कि आतंकवाद के लिए मुस्लिम देशों को दोष देना गलत है, क्योंकि आतंकवाद किसी धर्म या क्षेत्र का नहीं होता. उन्होंने बताया कि आतंकवाद ने 2001 से मुख्य रूप से मुसलमानों को निशाना बनाया है. इसके अलावा, कराची में चीनी नागरिकों को निशाना बनाने की घटनाएं भी हुई हैं.


UNSC में भारत ने पाक को लताड़ा


गौरतलब है कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि "आतंकवाद का एपिसेंटर" अब भी बेहद सक्रिय है. उन्होंने चीन को परोक्ष रूप से कठघरे में खड़ा करते हुए इस बात को लेकर अफसोस भी व्यक्त किया कि आतंकवादियों को काली सूची में डालने के लिए साक्ष्य समर्थित प्रस्तावों को पर्याप्त कारण बताए बिना रोक दिया जाता है. 


उन्होंने कहा, "आतंकवादियों पर पाबंदी लगाने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए समान मानदंड लागू नहीं होते हैं. कभी-कभी ऐसा लगता है कि आतंकवाद का स्वामित्व उसके वास्तविक अपराध या उसके परिणामों से अधिक महत्वपूर्ण है."


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