Terror Funding Case: टेरर फंडिंग के मामले में दोषी ठहराए गए अलगाववादी नेता यासीन मलिक को आज यानी बुधवार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. दिल्ली की NIA ने उस पर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया है. वहीं यासीन मलिक को सजा सुनाए जाने से पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में खलबली मच गई है. वहां के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस फैसले के लिए भारत की आलोचना की है. 


उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि भारत यासीन मलिक को शारीरिक रूप से कैद कर सकता है लेकिन वह कभी भी उस स्वतंत्रता के विचार को कैद नहीं कर सकता जिसका वह प्रतीक है. बहादुर स्वतंत्रता सेनानी के लिए आजीवन कारावास कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार को नई गति प्रदान करेगा. 


 






विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने किया ट्वीट


पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भी ट्वीट करते हुए कहा, 'दिखावटी मुकदमे में हुर्रियत नेता यासीन मलिक को अन्यायपूर्ण सजा सुनाए जाने की कड़ी निंदा करते हैं. भारत कभी भी कश्मीरियों की आजादी और आत्मनिर्णय की आवाज को चुप नहीं करा सकता. पाकिस्तान कश्मीरी भाइयों और बहनों के साथ खड़ा है, उनके न्यायपूर्ण संघर्ष में हर संभव सहयोग देता रहेगा. 






19 मई को दिया गया था दोषी करार


यासीन मलिक को आतंकी फंडिंग (Terror Funding) मामले में दोषी ठहराया गया था. मलिक पर आपराधिक साजिश रचने, शांति भंग करने समेत कई धाराओं के तहत आरोप तय किए गए थे. मलिक ने आरोपों को अदालत के सामने कबूल भी कर लिया था जिसके बाद 19 मई को मलिक को दोषी करार दिया गया था.


स्वतंत्र कश्मीर के पैरोकार रहे यासीन मलिक


यासीन मलिक, 1966 में एक ऐसे परिवार में पैदा हुआ, जो मूल रूप से दक्षिण कश्मीर के कोकरनाग इलाके का था, लेकिन लाल चौक के पास मैसूमा इलाके में रहता था. वह स्वतंत्र कश्मीर के पैरोकार रहे हैं और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के अध्यक्ष रह चुके हैं. यासीन उन युवाओं के पहले समूह में शामिल था, जिन्होंने मूल रूप से कश्मीर घाटी में सशस्त्र उग्रवाद का नेतृत्व किया था. हालांकि, 1991 की शुरुआत में एक मुठभेड़ के बाद उनकी गिरफ्तारी के बाद मलिक ने 1994 में हिंसा छोड़ दी और कश्मीर संघर्ष पर समझौता करने के लिए शांतिपूर्ण तरीके अपनाए.


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