Cyber Threat: पाकिस्तानी हैकर्स कर रहे इंडियन आर्मी को टारगेट? आईआईटी भी हैं निशाने पर
Cyber Threat To Indian Army: पाकिस्तान से होने वाले साइबर अटैक में इस साल जनवरी से तेजी आई है. इन हमलों के पीछे हैकर्स का एक खास समूह का नाम सामने आ रहा है.
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Cyber Threat From Pakistam: पाकिस्तान ने जब-जब भारत की तरफ आंख उठाने की कोशिश की, भारतीय सेना के हाथों उसे मुंह की खानी पड़ी. यही वजह है कि पाकिस्तान के निशाने पर भारतीय सेना हमेशा रहती है, लेकिन अब पड़ोसी मुल्क के नापाक नजर देश के टॉप शिक्षण संस्थानों पर भी है. भारतीय सुरक्षा शोधकर्ताओं ने इसे लेकर अलर्ट जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तानी हैकरों के निशाने पर भारतीय सेना के साथ, आईआईटी और एनआईटी जैसे प्रमुख संस्थान हैं.
गैजेट्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक, सिक्योरिटी रिसर्चर ने हाल के दिनों में साइबर अटैक वेव का पता लगाया है, जिसके पीछे पाकिस्तान स्थित ट्रांसपैरेंट ट्राइब नामक हैकर ग्रुप शामिल है. ट्रांसपैरेंट ट्राइब की ही एक सबडिवीजन, साइडकॉपी नाम से है, जो भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने में शामिल रहा है.
कैसे चला हैकिंग का पता ?
हैकिंग अभियान का पता तब चला, जब हाल ही में डीआरडीओ के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक को गिरफ्तार किया गया. इस वैज्ञानिक को हनीट्रैप में फंसाया गया था और उनके ऊपर संवेदनशील जानकारियां पाकिस्तानी एजेंट को देने का आरोप है. ये हैकर कैसे काम करते हैं और किन टूल्स का इस्तेमाल करते हैं, इसके बारे में अहम जानकारियां हाथ लगी हैं.
मई 2022 के बाद से ट्रांसपैरेंट ट्राइब का ध्यान मुख्य रूप से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) और देश के कुछ बड़े बिजनेस स्कूलों को निशाना बनाने पर केंद्रित रहा है.
2023 की शुरुआत के बाद से इन हमलों में तेजी आई है. हालांकि ये अभी तक साफ नहीं है कि इन संस्थानों को निशाना बनाने के पीछे वजह क्या है, लेकिन इनमें से कुछ संस्थान भारतीय सेना के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, ऐसे में आशंका है कि इसी वजह से इन्हें टारगेट किया जा रहा है.
मॉलवेयर का कर रहे इस्तेमाल
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की सरकारी एजेंसियों को निशाना बनाने के लिए ये हैकर लाइनैक्स मॉलवेयर पोसाइडन का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि हैकर शिकार को फंसाने के लिएबिंजचैट और चैटिको जैसे मैसेजिंग एप का इस्तेमाल कर रहे हैं. इन एप्स के जरिए हैकर ग्रैविटीआरएटी ट्रोजन पहुंचा रहे हैं. ग्रेविटीआरएटी एक रिमोट एक्सेस टूल है, जिसका इस्तेमाल 2015 से किया जा रहा है.
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