Indian Railway: वादाखिलाफी कैसे की जाती है ये कोई पाकिस्तान रेलवे से सीखे. दोस्ती यारी में भारत से पाकिस्तान के लिए शुरू की गई समझौता एक्सप्रेस ( Samjhauta Express) के बंद होने के बाद यह देश इस ट्रेन के 10 कोच पर कुंडली मारकर बैठ गया है. धड़ल्ले से वह इन कोचों का इस्तेमाल कर रहा है. बीते तीन साल से ये कोच पाकिस्तान रेलवे ने अड़ा कर रखे हैं.
तोड़ा समझौता नहीं लौटाए कोच
गौरतलब है कि साल 22 जुलाई 1976 को शिमला समझौते के तहत समझौता एक्सप्रेस चलाई गई थी. यह ट्रेन अमृतसर और लाहौर के बीच दौड़ा करती थी. इसके बाद साल 1994 में इसे अटारी स्टेशन से लाहौर के बीच दौड़ाया गया. इस ट्रेन को चलाने का एकमात्र उद्देश्य था कि आपसी रिश्तों में खटास वाले इन दोनों देशों के बाशिंदे अपने लोगों से आसानी से मिल पाएं. लेकिन पाकिस्तान ने कई बार ट्रेन को रोका भी दिया था.
साल 2019 में बंद हो गई यह ट्रेन
साल 2019 आखिरी साल था जब भारत ने सात अगस्त को इसे अमृतसर से अटारी स्टेशन के लिए रवाना किया था, लेकिन इस दौरान भारत ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था. इस वजह से नाराजगी के चलते पाकिस्तान ने समझौता एक्सप्रेस वाला समझौता तोड़ दिया. पाकिस्तान ने इसके साथ ही इस एक्सप्रेस को हमेशा के लिए बंद कर दिया.
संबंध तो तोड़े, लेकिन कोच करता है इस्तेमाल
साल 2019 को जब समझौता एक्सप्रेस पाकिस्तान के लिए रवाना हुई तो नाराजगी में पाकिस्तान ने समझौता एक्सप्रेस दो बंद कर दी, लेकिन इसके कोच भारतीय रेलवे को लौटाने की जहमत नहीं उठाई. इस एक्सप्रेस के 11 कोच के साथ मालगाड़ी के डिब्बे भी थे जो आज तक भारत नहीं लौट पाए हैं. इन तीन सालों में भारतीय रेलवे ने कई बार लेटर लिखकर ये कोच लौटाने को कहा, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा. साल 2020 में भारत सरकार ने पाकिस्तान को समझौता एकसप्रेस के कोच लौटाने को लेकर लिखा, लेकिन उसके कान पर जूं तक नहीं रेंगी. पाकिस्तान इन कोचों को लौटाने की जगह बेशर्मी से इनका इस्तेमाल अपने देश के पैसेंजर्स के लिए कर रहा है.
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