Pakistan Intelligence Agency ISI: जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने और यहां के युवाओं को आतंकी संगठन में शामिल करने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने एक नया गेम प्लान तैयार किया है. इस गेम प्लान में पाकिस्तान के आतंकी संगठन भी साथ दे रहे हैं. आईएसआई और आतंकी संगठन पाकिस्तान में बैठे ऐसे परिवारों से संपर्क साध रहे हैं जिनका कोई ना कोई रिश्तेदार या जान पहचान वाला जम्मू कश्मीर में रहता है. 


दरअसल, इसके पीछे मकसद ये है कि इन लोगों के जरिए जम्मू-कश्मीर के युवाओं तक पहुंचा जा सके और उन्हें आतंकी संगठन के लिए काम करने के लिए आसानी से प्रेरित किया जाए. 


जम्मू-कश्मीर में जारी ऑपरेशन ऑल आउट और सीमा से ना के बराबर हो रही घुसपैठ के चलते आईएसआई अब जम्मू-कश्मीर में खून खराबा करने और यहां के युवाओं को आतंकी बनाने के लिए नया पैंतरा अपना रही है. खुफिया एजेंसियों से एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक आईएसआई ने पाकिस्तान में बैठे ऐसे करीब 3500 परिवारों से संपर्क किया है जिन परिवारों का कोई रिश्तेदार या जान पहचान वाला जम्मू कश्मीर में रहता है. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की नजरों से बचने के लिए आईएसआई ने इन परिवारों को जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है. 


अब तक 80 युवकों की पहचान  


दरअसल, आईएसआई पाकिस्तान में बैठे इन परिवारों को जम्मू-कश्मीर में अपने रिश्तेदारों या जान पहचान वालों से बात करके इन परिवारों के युवाओं को लालच दे रही है, जिससे कि आतंक का रास्ता एक तैयार किया जा सके. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने एबीपी न्यूज़ को बताया है कि जम्मू के डोडा, किश्तवाड़, रामबन, राजौरी और पुंछ जिलों के करीब 80 युवकों की पहचान अब तक की जा चुकी है, जिन से पाकिस्तान में बैठे उनके रिश्तेदारों ने संपर्क किया था ताकि वह आतंक का रास्ता अख्तियार कर सकें. 


पाकिस्तान के कई ऐसे नंबर मिले 


सुरक्षाबलों को इन युवाओं के मोबाइल फोंस और कॉल डिटेल्स से पाकिस्तान के कई ऐसे नंबर मिले हैं जिनसे यह युवा रोजाना बात करते हैं. इसके बाद इन युवाओं में से कुछ पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगा दिया गया है, वहीं कुछ युवाओं पर पैनी नजर रखी जा रही है.


सुरक्षाबलों के लिए चुनौती 


सुरक्षा के जानकार मानते हैं कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का यह गेम प्लान सुरक्षाबलों के लिए चुनौती है. आईएसआई या आतंकी संगठनों के हैंडलर लगातार सुरक्षाबलों के आधार पर होते हैं. ऐसे में अगर पाकिस्तान में बैठे यह परिवार अपने रिश्तेदारों या जान पहचान वालों में से किसी को आतंक का रास्ता अख्तियार करने के लिए प्रेरित करते हैं तो सुरक्षाबलों को उन पर ज्यादा शक नहीं जाएगा. 


शातिराना साजिश


जानकार यह भी मानते हैं कि अगर सुरक्षा बल इन युवाओं से पूछताछ करते भी हैं तो उनके पास बचने का एक आसान तरीका यह रहता है कि वह सुरक्षाबलों को बताएं कि वह पाकिस्तान में बैठे अपने रिश्तेदारों से बात करते हैं. ऐसे में ना तो आईएसआई और ना ही पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के हैंडलरों पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का शक जाएगा.


एलओसी व्यापार भी इसीलिए बंद हुआ


जानकार यह भी मानते हैं कि सुरक्षाबलों के लिए यह एक बड़ी चुनौती इसलिए भी है क्योंकि जम्मू में सैकड़ों ऐसे परिवार हैं जो 1947 या 1947 से पहले विभाजित होकर पाकिस्तान चले गए और जिनके कोई ना कोई रिश्तेदार या जान पहचान वाले पाकिस्तान में रहते हैं. भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ एलओसी व्यापार भी इसी लिए बंद किया था क्योंकि आईएसआईएस व्यापार को भी आतंक को बढ़ाने और युवाओं तक हथियार और पैसा पहुंचाने का इस्तेमाल करता रहा है. 


सुरक्षाबल ने एबीपी न्यूज़ को यह भी बताया है कि एक बार अगर इन युवाओं में से कोई आतंकी संगठनों के लिए काम करने को तैयार होता है तो फिर यह परिवार उस युवा का संपर्क सीधा पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई या पाकिस्तानी आतंकियों के हैंडलर से कराते हैं. जिससे कि इन युवाओं को जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जा सके.


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