संयुक्त राष्ट्र: भारत ने झूठ फैलाने के लिए पाकिस्तान की कड़ी निंदा की है और कहा है कि पाकिस्तान इस बात का आत्मविश्लेषण करे कि क्यों उसे दुनियाभर में आतंकवाद का ‘अंतरराष्ट्रीय केन्द्र’ और ‘आतंकवादियों का सुरक्षित पनाहगाह’ समझा जाता है.
भारतीय प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख महावीर सिंघवी ने ‘‘द ग्लोबल स्कोर्ज ऑफ़ टेररिज़्म: असेसमेंट ऑफ हाई रिस्क थ्रेट एंड ट्रेंड्स’’ पर मंगलवार को वर्चुअल आतंकवाद निरोधक सप्ताह पर एक वेबिनार के दौरान यह बात कही.
उन्होंने कहा,‘‘जब दुनिया महामारी से निपटने के लिए एकजुट है ऐसे में यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान, एक देश जो सीमापार आतंकवाद प्रायोजित करता है, वह हर अवसर का इस्तेमाल भारत के खिलाफ झूठा विमर्श फैलाने और निराधार, द्वेषपूर्ण तथा कट्टर आरोप लगाने में करता है. साथ ही हमारे आंतरिक मामलों में भी दखल देता है.’’
सिंघवी ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान को उसके नियंत्रण वाले क्षेत्र में सक्रिय आतंकी संगठनों के खिलाफ निरंतर, सत्यापनयोग्य और अपरिवर्तनीय कार्रवाई करने की मांग करनी चाहिए. पाकिस्तान को इस बात का आत्मविश्लेषण करना चाहिए कि क्यों उसे दुनियाभर में आतंकवाद का ‘‘अंतरराष्ट्रीय केन्द्र’’ और ‘‘आतंकवादियों का सुरक्षित पनाहगाह’’ समझा जाता है.
सिंघवी ने जम्मू कश्मीर सहित भारत की घरेलू राजनीति और आंतरिक मामले उठाने के लिए पाकिस्तान की निंदा की और कहा कि पाकिस्तान एक तरफ तो आतंकवादियों को पनाह और सहयोग देता है और दूसरी तरफ केन्द्र शासित प्रदेश के हालात पर गलत और उकसाने वाले विमर्श फैलाने का काम करता है.
उन्होंने कहा,‘‘वह स्वतंत्रता संघर्ष के नाम पर भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद के लिए अपनी सैन्य, वित्तीय और साजो-सामान संबंधी सहायता देने की कोशिश कर रहा है और भारत के घरेलू कानून और नीतियों के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहा है.’’
उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान यह चाहता है कि उसे ‘‘आतंकवाद के घातक वायरस’’ के खिलाफ लड़ाई में गंभीरता से लिया जाए तो उसे खुद की तरफ देखना चाहिए और अपनी प्रतिबद्धताओं पर खरा उतरना चाहिए साथ ही अपनी विभाजनकारी हरकतों से बाज़ आना चाहिए.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आसानी से दूसरों पर आरोप लगाता है लेकिन वह बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और जम्मू-कश्मीर के इलाकों में अवैध रूप से कब्जा किए गए स्थानों पर मानवाधिकारों के उल्लंघन पर ‘आंखें मूंद लेता है’.
सिंघवी ने कहा,‘‘ इसने धार्मिक और सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ व्यवस्थित तरीके से और लगातार भेदभाव किया है. पाकिस्तान में जबरन धर्मपरिवर्तन तथा अहमदिया, ईसाई, हिंदू और सिख अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थानों पर हमले जगजाहिर हैं.’’
उन्होंने कहा,‘‘ भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां सभी धर्मों का आदर है, जैसा कि संविधान ने अनिवार्य किया है. अल्पसंख्यक समुदायों के लोग भारत में उच्च पद पर आसीन हुए हैं, जिनमें राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री शामिल हैं. एक धर्मशासित देश होने के नाते पाकिस्तान को भारत की धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था को समझ पाना मुश्किल है.’’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने हाल ही में कबूल किया था कि पाकिस्तान में कम से कम 40 हजार आतंकवादी मौजूद हैं और आतंकवादियों ने वहां से पड़ोसी मुल्कों पर हमले किए हैं.
सिंघवी ने कहा,‘‘ आतंकवाद का गढ़ होने संबंधी पाकिस्तान की भूमिका को संयुक्त राष्ट्र और आर्थिक कार्रवाई कार्य बल सहित अनेक अंतरराष्ट्रीय ने स्पष्ट रूप से दर्ज किया है.’’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के विपरीत भारत आतंकवादियों के बीच कोई अंतर नहीं करता है और हाल ही में कराची हमले सहित, दुनिया में कहीं भी हुए आतंकवादी हमलों की निंदा करता है. उन्होंने कहा कि भारत राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद के संकट का सामना कर रहा है.
उन्होंने कहा,‘‘आतंकवादियों ने हमलों को अंजाम देने के लिए सीमा पार अपने सुरक्षित निवासों से हमारे देश में घुसपैठ के अनगिनत प्रयास किए हैं और यहां तक कि हमारी सीमाओं पर हथियारों की तस्करी के लिए मानवरहित हवाई प्रणाली का भी इस्तेमाल किया है.’’
आतंकवादी समूहों ने समर्थकों को सुरक्षा बलों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने के लिए उकसाया है और आतंकवादी संगठन आतंकवाद को धन मुहैया कराने के लिए धर्मार्थ गतिविधियों की आड़ में धन एकत्र कर रहे हैं.
उन्होंने कहा,‘‘जब दुनिया कोविड-19 के साथ जूझ रही है, ऐसे में आतंकवादियों के खिलाफ मिल कर लड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढांचे को आगे बढ़ाने की जरूरत है, जिनकी विघटनकारी गतिविधियां जारी हैं और वास्तव में महामारी के दौरान बढ़ीं हैं.’’
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