Pakistan National in Bengaluru Jail: पाकिस्तान का एक शख्स बेंगलुरु की जेल में 17 साल बिताने के बाद अब घर जाने की राह देख रहा है. पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद फहद को आतंकवाद के एक मामले सहित सभी मामलों में बरी कर दिया गया था लेकिन इसके बावजूद वह जेल की सेल में बैठा अपने परिजनों के यादों में खोया है. इसी महीने मोहम्मद फहाद ने करीब 5 दिन तक भूख हड़ताल भी की लेकिन तबीयत बिगड़ने की वजह से अधिकारियों ने उसे जबरन खाना खिलाया.


फहाद एक आतंकवादी मामले सहित सभी मामलों में बरी कर दिया गया है. अखबार द हिंदू ने हिरासत केंद्र के एक अधिकारी के हवाले से बताया, "हमने उन्हें खाना खाने के लिए मना लिया क्योंकि वह बीमार पड़ गए थे और उनकी सेहत बिगड़ गई थी."


कहां अटका है रोड़ा?


अखबार ने फहद के वकील के हवाले से बताया है कि वह अपने सेल में अकेले रहता है. उसे शौचालय के अलावा कहीं जाने से मनाही है. उसकी मां लगभग जीवन के अंतिम पड़ाव पर हैं और अपने बेटे की राह देख रही हैं.


फहद के वकील ने कहा, "फहद ने एफआरआरओ और पाकिस्तान उच्चायोग को पत्र लिखकर अपनी दुर्दशा के बारे में बताया और बताया कि अपनी बीमार मां के साथ रहने के लिए पाकिस्तान की यात्रा करना कितना जरूरी था."


दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के एक सूत्र के अखबार को बताया कि पाकिस्तानी अधिकारी नियमित रूप से विदेश मंत्रालय (एमईए) के संपर्क में हैं. फहद की नागरिकता को 2011 में वापस मंजूरी दे दी गई थी और आयोग निर्वासन की तारीख तय करने के लिए विदेश मंत्रालय का इंतजार कर रहा है. दूसरी ओर, एफआरआरओ के एक अधिकारी ने कहा, "हमें एक प्रक्रिया का पालन करना है और जैसे ही प्रक्रिया समाप्त होती है, उसे निर्वासित किया जा सकता है."


क्या है फहद की कहानी?


मोहम्मद फहद के पिता भारतीय थे, लेकिन 1970 में वह पाकिस्तान चले गए थे. उसके पिता ने वहीं स्थानीय महिला से शादी कर ली थी और वहीं बस गए थे. साल 2006 में फहद केरल के कासरगोड में अपने रिश्तेदारों के साथ फिर से जुड़ने के लिए भारत आया. इस दौरान, कथित तौर पर एक महिला के साथ प्यार में पड़ने के बाद वापस रहने का फैसला किया.


फहद को 2007 में मैसूर में अपनी भारतीय पहचान स्थापित करने के लिए दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा करने के प्रयास में गिरफ्तार किया गया था. उन्हें दोषी ठहराया गया और उन्होंने परप्पना अग्रहारा सेंट्रल जेल में आठ साल बिताए. 2012 में उस पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और शस्त्र अधिनियम के तहत आतंकी साजिश में कथित संलिप्तता के आरोप लगाए गए.


वह 2005 आईआईएससी हमले के मामले में आरोपी था. इस मामले में सैयद अब्दुल रहमान नामक एक उपद्रवी शीटर को कट्टरपंथी बनाने का आरोप लगाया गया था. इस मामले में अफसर पाशा और रहमान को दोषी करार दिया गया था, जबकि फहद को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था.


ये भी पढ़ें:


'वन नेशन वन इलेक्शन' पर वोटिंग ने किया साबित, नहीं है दो-तिहाई बहुमत! कांग्रेस का मोदी सरकार पर निशाना