नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान ने अदालती फैसले के 15 दिन बाद भारत को कुलभूषण जाधव के लिए कॉन्सुलर सम्पर्क का प्रस्ताव भेजा है. मगर निगरानी और पहरेदारी में भारतीय अधिकारियों को मुलाकात की इजाजत शर्तों के साथ. ऐसे में फिलहाल भारत जहां इस पेशकश को वियना संधि के तहत मिले कांसुलर संपर्क को तौल रहा है.ऐसे में इस बात की संभावना धुंधली है कि फिलहाल पाकिस्तानी पेशकश के मुताबिक आज दोपहर तीन बजे जाधव और भारतीय उच्चायोग अधिकारियों की मुलाकात हो. हालांकि बाबात भारत के जवाब की तस्वीर शुक्रवार दोपहर तक साफ होगी.


निगरानी-पहले में मुलाकात की पाक पेशकश
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय प्रवक्ता डॉ फैसल महमूद ने बृहस्पतिवार को इस बात का ऐलान किया कि भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को कुलभूषण जाधव से मुलाकात के लिए प्रस्ताव भेज दिया गया है और फिलहाल उनके जवाब का इंतजार है. बाद में इस्लामाबाद के सूत्रों से आई खबरों के मुताबिक पाकिस्तान ने शुक्रवार शाम करीब 3 बजे की जाधव से मुलाकात का प्रस्ताव दिया गया है. हालांकि इस शर्त के साथ कि मुलाकात पाकिस्तानी नुमाइंदे की मौजूदगी में होगी और पूरी कार्रवाई सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होगी.


नाप-तौल पर जवाब भेजेगा भारत
पाकिस्तान की इस पेशकश के बारे में पूछे जाने पर भारतीय विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने नपा-तुला जवाब देते हुए बृहस्पतिवार को केवल इतना ही कहा कि अभी इस बारे में फैसला लिया जाना है. भारत अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसला की रौशनी में इस प्रस्ताव को आंकने के बाद पाकिस्तान को राजनयिक रास्ते से अपना जवाब भेज देगा.


काउंसलर संपर्क को भी मां-पत्नी से जाधव की मुलाकात जैसा बनाने की कोशिश
इस बीच इस पेचीदा मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान की यह पेशकश लगभग वैसी ही है जिस तरह 25 दिसंबर 2017 को कुलभूषण जाधव की मां और पत्नी की उससे मुलाकात कराई कई थी. जाधव की मां और पत्नी भी पाक अधिकारी की मौजूदगी और सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में ही मिले थे. ऐसे में पाकिस्तान की तरफ से आए इस प्रस्ताव को लेकर स्वाभाविक तौर पर भारत की आपत्ति होगी. यह भी साफ है कि पाक अफसरों की मौजूदगी में जाधव न तो खुलकर बात कर पाएगा और न ही सच बता पाएगा. साथ ही इस बात की आशंका भी बरकरार है कि दबाव में होने वाली किसी भी मुलाकात में जाधव वैसी ही बात करे जैसा उसने अपनी मां और पत्नी से मुलाकात के वक्त की थी. गौरतलब है कि पाकिस्तान ने जाधव की मां और पत्नी से हुई मुलाकात की तस्वीरों को प्रचार सामग्री की तरह इस्तेमाल किया था. साथ ही उसके कथित इकबालिया बयान के कई वीडियो भी मीडिया में जारी किए थे.


एक वरिष्ठ राजनयिक के मुताबिक भारत को यह कांसुलर संपर्क का यह प्रस्ताव आईसीजे के 17 जुलाई 2019 को आए फैसले के बाद मिला है जिसमें पाकिस्तान को वियना संधि 1963 के उल्लंघन का दोषी करार दिया गया था. लिहाजा यह जरूरी है कि पाकिस्तान का प्रस्ताव जाधव के लिए अदालत से भारत को मिली राहत की राह रोकने वाला न हो. अदालती निर्णय की कसौटी पर तौलने के बाद ही भारत इस बारे में अपनी जवाब जाहिर करेगा.


वियना संधि की व्याख्या में गलियारा तलाशने की कोशिश
बहरहाल, इस मामले पर पाकिस्तानी प्रस्ताव और भारत के संभावित जवाब की दलीलें अंतरराष्ट्रीय न्यायलय से आए फैसले में निहित वियना संधि 1963 के आर्टिकल 36 की व्याख्या में मौजूद है. वियना संधि यह साफ कहती है कि यदि कोई नागरिक किसी अन्य देश में पकड़ा जाता है तो उसके मुल्क को दूसरे राष्ट्र में उससे मुक्त संपर्क का अधिकार है. इस संधि के आर्टिकल 36 की धारा 1 (a) के मुतािबक कौंसुलर अधिकारी हिरासत या कैद में मौजूद अपने देश के व्यक्ति से संवाद करने के लिए स्वतंत्र हैं और ऐसे व्यक्ति भी अपने देश के कौंसुलर अधिकारियों से संपर्क का अधिकार रखता है. वहीं धारा 2 कहती है कि रीसीविंग स्टेट यानी जिस देश ने दूसरे मुल्क के व्यक्ति को पकड़ा है, अपने कानून और नियम-कायदों के मुताबिक कौंसुलर संपर्क की इजाजत देगी. हालांकि इसी धारा में यह भी स्पष्ट किया गया है कि इजाजत देने वाले मुल्क के उक्त नियम व कानून, आर्टिकल 36 में दिए गए अधिकारों के प्रभाव को खत्म करने वाले नहीं होना चाहिए.


वियना संधि पर पूरी तरह खरी नहीं उतरती पाक पेशकश
जाहिर है, पाकिस्तान आर्टिकल 36 की धारा 2 में स्थानीय कानून के मुताबिक कौंसुलर संपर्क देने के अधिकार का फायदा उठा रहा है. वहीं भारत का जोर इस बात पर होगा कि इस तरह से पहरे और निगरानी में दी गई कौंसुलर संपर्क की इजाजत वियना संधि में हासिल संपर्क व संवाद की स्वतंत्रता और अधिकारों को ही खत्म करने वाली है.


हालांकि सूत्रों के मुताबिक भारत को यह भी ध्यान रखना होगा कि पाकिस्तान उसके इनकार को दुनिया के आगे यह दिखाने के लिए भी इस्तेमाल करेगा कि दरअसल भारतीय मंशा ही कौंसुलर संपर्क की नहीं है. ऐसा में इस्लामाबाद को भेजे जाने वाले जवाब को अंतरराष्ट्रीय कानून और मानकों की कसौटी पर कसना जरूरी होगी.


उल्लेखनीय है कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत में 26 महीनों की कानूनी लड़ाई के बाद कुलभूषण जाधव के लिए कौंसुलर संपर्क का अधिकार जीता है. इससे पहले पाकिस्तान ने 30 से अधिक बार भेजी गई भारतीय अर्जियों को 17 जुलाई को आए अदालती फैसले से पहले लगातार नजर अंदाज ही किया.