नागरिकता संशोधन बिल पर इमरान खान के पेट में दर्द, कहा- यह RSS के ‘हिंदू राष्ट्र’ डिजाइन का हिस्सा
नागरिकता संशोधन विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है.
नई दिल्ली: भारत के नागरिकता संशोधन बिल को लेकर पाकिस्तान के पेट में भी दर्द होने लगा है. बेवजह भारत के आंतरिक मामलों में टांग अड़ाने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस बिल की निंदा की है. इमरान खान ने कहा है कि ये बिल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के हिंदू राष्ट्र के डिजाइन का हिस्सा है.
पीएम इमरान खान ने ट्वीट किया है, ‘’हम भारतीय लोक सभा के नागरिकता कानून की कड़ी निंदा करते हैं, जो पाकिस्तान के साथ पूर्व मानवाधिकार कानून और द्विपक्षीय समझौतों के सभी मानदंडों का उल्लंघन करता है.’’ उन्होंने कहा, ‘’यह फासीवादी मोदी सरकार की तरफ से प्रचारित आरएसएस के "हिंदू राष्ट्र" डिजाइन का हिस्सा है.’’
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक 23 से 3.4 फीसदी रह गए- अमित शाह
कल लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साल 1950 में हुए नेहरू लियाकत समझौते का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौता 1950 इसमें तय हुआ था कि दोनों देश अपने-अपने देश के अल्पसंख्यकों का ध्यान रखेगा. पर ये समझौता धरा का धरा रह गया. उन्होंने सवाल खड़े करते हुए कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से अल्पसंख्यक गए कहा. पाकिस्तान में 23 फीसदी से घटकर 3.4 फीसदी रह गए. जबकि बांग्लादेश में 22 फीसदी से घटकर 7.8 फीसदी रह गए. जो अल्पसंख्यक पाकिस्तान या बांग्लादेश से भागकर आये. वो घुसपैठिया नहीं है. वो शरणार्थी हैं.
बिल को लेकल अमेरिका में भी विरोध
सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं बल्कि अमेरिका में भी इस बिल का विरोध हो रहा है. अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संघीय अमेरिकी आयोग (USCIRF) ने कहा है कि ये बिल ‘गलत दिशा में बढ़ाया गया एक खतरनाक कदम’ है और अगर यह भारत की संसद में पारित होता है तो भारत के गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. USCIRF ने कहा कि विधेयक के लोकसभा में पारित होने से वह बेहद चिंतित है.
लोकसभा से पास, अब राज्यसभा की बारी
बता दें कि कल लोकसभा ने नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को मंजूरी दे दी है, जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है. नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में 311 वोट और विरोध में 80 वोट पड़े.अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा.
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