मुशर्रफ के करीबी ने कौड़ियों के दाम बेच दी पाक दूतावास की इमारत, अब चलेगा मामला
पाकिस्तान की शीर्ष भ्रष्टाचार रोधी संस्था ने आरोप लगाया कि जकार्ता में नियुक्ति के तुरंत बाद ही अनवर ने जकार्ता में दूतावास को बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी.
नई दिल्ली: पाकिस्तान में फौजी ताकत के सहारे सत्ता के दुरुपयोग का एक और शर्मनाक मामला सामने आया है. पाकिस्तान के नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो ने इंडोनेशिया में पूर्व राजदूत को बिना इजाजत पाकिस्तानी दूतावास की इमारत कौड़ियों के मोल बेचने के लिए जवाबदेह माना है. उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है.
पकिस्तान में उच्च पदों पर बैठे लोगों की जवाबदेही और भ्रष्टाचार नियंत्रण के लिए काम करने वाले नेशनल अकॉउंटेबिलिटी ब्यूरो ने इंडोनेशिया में 2001-2002 के बीच राजदूत रहे मेजर जनरल (retd) सैय्यद मुस्तफा अनवर के खिलाफ 19 अगस्त को जवाबदेही अदालत में एक संदर्भ दाखिल किया. अनवर पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह और पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के करीबी माने जाते रहे. मुशर्रफ ने न केवल उन्हें पाकिस्तान का राजदूत बनाकर इंडोनेशिया भेजा था बल्कि 2008 में राष्ट्रपति रहने तक अपना OSD भी बनाए रखा.
पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व राजदूत पर अवैध रूप से दूतावास की इमारत को बेचने का आरोप लगाया गया है, जिससे पाकिस्तान के राष्ट्रीय खजाने को 1.32 मिलियन अमरीकी डालर का नुकसान हुआ. रजिस्ट्रार को सौंपे गए दस्तावेजों में दावा किया गया है कि अनवर ने विदेश मंत्रालय की मंजूरी के बिना इमारत की बिक्री के लिए एक विज्ञापन जारी किया था. अखबार के मुताबिक रिपोर्टों से पता चलता है कि अनवर ने राष्ट्रीय जवाबदेही अध्यादेश की धारा 9 (ए) 6 के तहत अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया.
अनवर, मुशर्रफ की पत्नी के रिश्तेदार
एक अन्य पाकिस्तानी अखबार द न्यूज़ के अनुसार, मुशर्रफ ने दूतावास बिक्री मामले पर जहां मेजर जनरल सैय्यद मुस्तफा अनवर को बचा लिया वहीं इसकी शिकायत करने वाले अधिकारी का तबादला कर दिया. अखबार के मुताबिक जकार्ता के प्राइम लोकेशन पर स्थित पाक दूतावास भवन और राजदूत निवास को महज 30 लाख डॉलर में बेचकर एक दूरस्थ इलाके में बड़ी इमारत खरीदी गई. अनवर मुशर्रफ की पत्नी के रिश्तेदार भी बताए जाते हैं.
पाकिस्तान की शीर्ष भ्रष्टाचार रोधी संस्था ने आरोप लगाया कि जकार्ता में नियुक्ति के तुरंत बाद ही अनवर ने जकार्ता में दूतावास को बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. बिक्री की प्रक्रिया शुरू होने के बाद, अनवर ने मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा. हालांकि, संदर्भ के अनुसार, मंत्रालय ने कई पत्रों में भवन की बिक्री को रोक दिया था.
पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले महीने कहा था कि एनएबी कार्यालय पूर्व राजदूत के खिलाफ भ्रष्टाचार के संदर्भों पर निर्णय लेने में देरी के लिए जिम्मेदार था. अब रजिस्ट्रार कार्यालय में जांच के बाद दाखिल किए गए संदर्भ को प्रशासनिक न्यायाधीश को भेजा जाएगा.
यह भी पढ़ें-
कोरोना अपडेट: 24 घंटे में आए 67 हजार नए मामले, 1059 लोगों की मौत, अबतक 32 लाख से ज्यादा संक्रमित