नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले में कुलभूषण जाधव मामले पर मिली फटकार के बाद किरकिरी झेल चुके पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत को काउंसलर एक्सेस का प्रस्ताव भेजा है. अदालती निर्णय के डेढ़ महीने बाद इस्लामाबाद की तरफ से आई दूसरी पेशकश को फिलहाल भारत सरकार ने न तो स्वीकार किया है और न ही अस्वीकार. ताजा पाक प्रस्ताव पर भारत सरकार का कोई आधिकारिक बयान भी नहीं भी आया है. हालांकि कश्मीर पर भारत-पाक रिश्तों में जारी तनाव के बीच आए इस प्रस्ताव की टाइमिंग एक बार फिर पाकिस्तनी पैंतरे की ओर ही इशारा कर रही है. ऐसे में शर्तों के पेंचो-खम के साथ आए प्रस्ताव को भारत की तरफ से इसे मंजूर किए जाने की संभावना धुंधली है. वैसे भी भारत यह साफ कर चुका है कि उसे जाधव के लिए ‘अबाध और दबाव रहित’ मुलाकात से कम कुछ मंजूर नहीं.


पाकिस्तानी प्रस्ताव को सार्वजनिक करते हुए पाक विदेश विभाग प्रवक्ता डॉ फैसल मोहम्मद ने ट्वीट में कहा कि कुलभूषण जाधव के लिए भारत को 2 सितंबर 2019 को काउंसलर एक्सेस की इजाजत दी जा रही है. हालांकि अपने ट्वीट में जाधव के लिए “भारतीय जासूस” और “रॉ-एजेंट” जैसे जुमलों का इस्तेमाल कर पाक विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने साफ कर दिया कि इस पेशकश के पीछे मंशा कैसी है. पाक प्रवक्ता ने जाधव पर जासूसी, आतंकवाद के आरोपों का भी उल्लेख किया.


पाकिस्तानी प्रस्ताव के बाबत पूछे जाने पर मामले की जानकारी रखने वाले भारतीय सूत्रों का इतना ही कहना था कि “फिलहाल प्रक्रियाओं के लेकर चर्चा जारी है.” भारत यह पहले ही कह चुका है कि उसकी दरकार कुलभूषण जाधव के मामले में अबाध और दबाव रहित पूर्ण काउंसलर एक्सेस की है. ध्यान रहे की पाकिस्तान ने इससे पहले दो अगस्त को कौंसुलर मुलाकात के लिए इजाजत देते हुए भारत को प्रस्ताव भेजा था.


ठीक एक महीने पहले भेजे प्रस्ताव के साथ पाकिस्तान ने सीसीटीवी निगरानी और सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में जाधव की भारतीय राजनयिकों से मुलाकात जैसी शर्ते भी नत्थी की थी. भारत ने पाकिस्तानी शर्तों को अस्वीकार किसी भी दबावपूर्ण स्थिति में कुलभूषण जाधव से कौंसुलर मुलाकात से इनकार कर दिया था. भारत की दलील है कि भय और दबाव के माहौल में जाधव के साथ ऐसा संवाद संभव नहीं है जिसमें वो खुलकर अपने मुल्क के राजनयिकों से बात कर सके और सच बयान कर सके. ऐसे में काउंसलर एक्सेस का उद्देश्य ही पूरा नहीं होता.


हालांकि पाकिस्तानी पेशकश में भारत का फंसाने का पैंतरा भी साफ नजर आता है. मामले की पेचीदगी से वाकिफ सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी फंदे को समझने की जरूरत है. यदि भारत इस पेशकश को स्वीकार कर लेता है तो पाकिस्तान न केवल अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले पर अपनी फरमाबरदारी दिखा सकेगा बल्कि इसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ प्रचार मंच की तरह भी करेगा. काउंसलर एक्सेस में जाधव की तरफ से दबाव में दिए किसी भी बयान का इस्तेमाल एक फिर दुष्प्रचार सामग्री की तरह करने का मौका भी पाकिस्तान निकाल लेगा. खासतौर पर संयुक्त राष्ट्र संघ की दो हफ्ते बाद होने वाली महासभा बैठक से पहले पाकिस्तान ऐसे हर संभव हथकंडे की तलाश में है यह बात भारतीय खेमा बखूबी जानता है.


सूत्रों की मानें तो आने वाले कुछ दिनों पाकिस्तान की तरफ से काउंसलर एक्सेस के लिए खुद को ईमानदार बताने की और भी कोशिशें हो सकती हैं. हालांकि इसके पीछे काउंसलर एक्सेस से ज्यादा नीयत भारत के खिलाफ वो बारूद जमा करने की है जिसका इस्तेमाल इमरान खान संयुक्त राष्ट्र महासभा में कर सकें. मौका मिलने पर इमरान कुलभूषण के सहारे भारत पर आतंकवाद की तोहमत मढ़ने का अवसर नहीं चूकेंगे.


पाकिस्तानी पैंतरे का एक पेंच यह भी है कि काउंसलर एक्सेस के प्रस्ताव को सिरे से खारिज करना भी भारत के लिए कठिन है. ऐसे में जबकि भारत ने काउंसलर एक्सेस की इजाजत को अंतरराष्ट्रीय अदालत में लड़ाई कर जीता हो, उसके लिए बिना किसी ठोस कारण इनकार भारतीय स्थिति को ही कमजोर करता है. लिहाजा इस कूटनीतिक चाल का जवाब भी कूटनीतिक तरीके से ही दिया जाएगा.