एलओसी पर आतंकियों की घुसपैठ कराने के लिए पाकिस्तान अब तुर्की से एक खास रडार सिस्टम लेनी की तैयारी कर रहा है. ये रडार ना केवल आतंकियों की घुसपैठ में मदद करेगी बल्कि पाकिस्तानी सेना को सर्जिकल स्ट्राइक जैसी किसी परिस्थिति से बचाने में भी मदद कर सकती है. बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद से ही पाकिस्तान चीन से बड़े पैमाने पर हथियारों का सौदा कर रहा है. लेकिन अब खबर है कि पाकिस्तान तुर्की से भी सैन्य सहयोग बढ़ाने की फिराक में है. हाल में ही कश्मीर के मसले को लेकर भारत और तुर्की के संबंधों में भी खटास आई है.


सीमा पर बड़े घुसपैठ की फिराक में पाकिस्तान


जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान अपनी सीमाओं की रक्षा और सर्विलांस के नाम पर अपने मित्र देश तुर्की से एक खास रडार सिस्टम लेने जा रहा है. सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान तुर्की से 'रैटीनार पीटीआर-एक्स पैरीमीटर' सर्विलांस रडार सिस्टम ले रहा है. लेकिन इस रडार सिस्टम को लेने का मकसद भारत से सटी एलओसी पर आतंकियों की घुसपैठ कराना है.


इस रडार सिस्टम की खास बात ये है की ये ‘पोर्टेबल’ है यानी इस बैगपैक सिस्टम को मात्र दो लोग आसानी से ऑपरेट कर सकते हैं और कहीं भी आसानी से उठाकर ले जा सकते है. इस रडार सिस्टम की रेंज करीब 4 किलोमीटर है और ये इंसान, जानवर और यहां तक की गाड़ी के बारे में भी सही सही जानकारी दे सकता है. दुनिया में ऐसे कम सिस्टम है जो बॉर्डर पर लगने के बाद इंसान और जानवर में फर्क बता सकें.


ये सिस्टम पूरी तरह से ऑटोमैटिक तरीक़े से बड़े इलाके को स्कैन कर सकती है और इसके इस्तेमाल से लगातार दूरबीन और कैमरे की मदद से निगरानी करने की कोई जरूरत नही है. जानकारों की माने तो पाकिस्तान तुर्की से इस सिस्टम को इसलिए ले रहा है क्योंकि एलओसी पर भारतीय सेना के मज़बूत ग्रिड के चलते घुसपैठ की कोशिशें नाकाम हो रही हैं. ऐसे में इस रडार के जरिए वो उन इलाको को स्कैन करके ढूंढने की कोशिश करेगा जहां से उसे घुसपैठ करना में आसानी हो ताकि घुसपैठ के पारंपरिक रास्तों के बजाए नए रूट खोले जा सकें.



पाकिस्तान को है सर्जिकल स्ट्राइक का डर


आपको बता दें कि भारतीय सेना ने एलओसी पर अपना एंटी इन्फीलेट्रेशन-ग्रिड को पिछले कुछ समय में बेहद मजबूत किया है. इसके कारण पाकिस्तानी सेना को आतंकियों के लिए घुसपैठ कराना बेहद मुश्किल हो रहा है. यही वजह है कि पाकिस्तान इन पोर्टबेल रडार सिस्टम को टर्की से ले रहा है. रैटीनार पीटीआर-एक्स रडार का इस्तेमाल पाकिस्तान एलओसी पर एक और कारण से करना चाहता है. वो है सर्जिकल-स्ट्राइक जैसी किसी परि‌स्थिति को रोकने के लिए. रैटीनार रडार अगर कोई जवान रेंग-रेंग कर जमीन पर चल रहा है तो तब भी ये ठीक ठीक लोकेशन बता देती है. गौरतलब है कि सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान भारतीय सेना के पैरा-एसएफ कमांडो रेंग-रेंग कर ही पाकिस्तान सीमा (पीओके) में दाखिल हुए थे. जिसके कारण पाकिस्तान को पता ही नहीं चल पाया कि भारतीय सैनिक उसकी सीमा में दाखिल हो गए हैं.


तुर्की से नजदीकियां बढ़ा रहा है पाकिस्तान


आपको बता दें कि पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान और तुर्की की नजदीकियां काफी बढ़ गई हैं. हाल ही में पाकिस्तानी सेना के टॉप जनरल्स ने अंकारा की यात्रा की थी. उसी दौरान माना जा रहा है कि दोनों देशों में इस रडार सिस्टम को लेकर बातचीत हुई है. रडार सिस्टम से पहले भी तुर्की ने पाकिस्तान को चार युद्धपोत बनाकर देने का करार किया है. पिछले साल नवंबर 2019 में तुर्की ने पाकिस्तानी नौसेना के साथ मिलकर अरब सागर में युद्धभ्यास भी किया था.


कश्मीर का राग अलाप रहा है तुर्की


पाकिस्तान के साथ दोस्ती का ही नतीजा है कि तुर्की कश्मीर को लेकर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के सुर में सुर मिला रहा है. तुर्की के राष्ट्रपति एरदोगान ने हाल ही में कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के रूख का समर्थन किया था. यही नहीं पाकिस्तान में तुर्की के राजदूत ने पूरा एक हफ्ता पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी बिताया था. पुलवामा हमले के बाद जिस तरह से भारत ने पलटवार करते हुए बालाकोट में आतंकी शिविरों को निशाना बनाया था. उससे पाकिस्तान को होश फ़ाख्ता हो गए थे. लेकिन पाकिस्तान अपनी फितरत से बाज आने वाला नहीं है. बालाकोट स्ट्राइक के तुरंत बाद ही पाकिस्तान ने चीन के सामने मिसाइल सिस्टम दिए जाने की गुहार लगाई थी.


चीन से हथियार देने की गुहार


खुफिया रिपोर्ट में ये साफ हुआ की पाकिस्तान ने मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (एमएलआरएस) ए-300 बैटरी देने के लिए चीन से आग्रह किया है. पाकिस्तान लंबी दूरी के इस रॉकेट सिस्टम को भारतीय वायुसेना की तरफ से भविष्य में किसी भी पलटवार से निपटने के लिए अपने ज़ख़ीरे में शामिल करना चाहता है. ए-300 एमएलआरएस की रेंज 90 से 299 किलोमीटर तक की है और सटीक निशाना लगाने में माहिर माना जाता है. फिलहाल पाकिस्तान की आर्टेलरी में ए-100 की दो रेजिमेंट मौजूद है और वो इसे और मज़बूत करने के लिए चीन से ए-300 लेना चाहता है. पाकिस्तान ने भारतीय सेना की किसी भी मूवमेंट ता पता लगाने के लिए बड़ी संख्या में ड्रोन भी चीन से ले रहा है जिसमें कांबेट ड्रोन भी शामिल हैं.


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