हज के लिए पाकिस्तान ने दे ही दिया वीजा! केरल से मक्का के लिए पैदल निकला था युवक, पहले किया था मना
Lahore: शिहाब ने पिछले साल अक्टूबर में अपने घर से वाघा सीमा तक 3,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू की थी. जहां उन्हें वीजा नहीं होने के कारण पाकिस्तान में घुसने से अधिकारियों ने रोक दिया था.
Haj Yatra: एक भारतीय नागरिक पैदल हज यात्रा के निकला है. जिसे अब पाकिस्तानी अदालत ने वीजा दे दिया है. भारतीय नागरिक को पहले पाकिस्तानी अदालत ने वीजा देने से इनकार कर दिया था. नागरिक ने मंगलवार (7 फरवरी) को हज के लिए सऊदी अरब तक पैदल चलने की अपनी मैराथन यात्रा को पूरा करने के लिए पाकिस्तान में प्रवेश किया.
29 साल के शिहाब वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान पहुंचे है. पाकिस्तान में उनका स्वागत लाहौर में रहने वाले सरवर ताज और भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान के अध्यक्ष इम्तियाज राशिद कुरैशी ने किया. शिहाब की ओर से सरवर ताज ने पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. कुरैशी ने बताया कि मक्का की अपनी यात्रा जारी रखने के लिए वीजा मिलने से शिहाब बहुत खुश हैं. इसके साथ उन्होंने कहा कि शिहाब प्यार, दोस्ती और भाईचारे का संदेश लेकर पाकिस्तान आए हैं.
पिछले साल अक्टूबर में भी शुरू की थी यात्रा
केरल के रहने वाले शिहाब ने पिछले साल अक्टूबर में अपने घर से वाघा सीमा तक 3,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू की थी. जहां उन्हें वीजा नहीं होने के कारण पाकिस्तान में घुसने से अधिकारियों ने रोक दिया था. फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के अधिकारी ने कहा कि शिहाब ने पाकिस्तान में आव्रजन के लिए अधिकारियों के सामने अनुरोध किया था कि वह पैदल हज करने जा रहा है और पहले ही 3,000 किमी की यात्रा कर चुका है और उसे मानवीय आधार पर देश में प्रवेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि वह ईरान के रास्ते सऊदी अरब पहुंचने के लिए ट्रांजिट वीजा चाहता था.
सरवर ताज ने शिहाब के लिए दायर की थी याचिका
हज सऊदी अरब में मक्का के लिए एक वार्षिक इस्लामी तीर्थयात्रा है. लाहौर के निवासी सरवर ताज ने शिहाब के लिए लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) में एक याचिका दायर कर अनुरोध किया था कि उसे सऊदी अरब की यात्रा करने की अनुमति दे और ट्रांजिट वीजा दिया जाए. ताज ने तर्क दिया कि जिस तरह पाकिस्तान सरकार गुरु नानक की जयंती और अन्य अवसरों पर भाग लेने के लिए भारत के सिख तीर्थयात्रियों को वीजा जारी करती है, उसी तरह उसे वीजा देना चाहिए.
एलएचसी ने उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि याचिकाकर्ता भारतीय नागरिकता से संबंधित नहीं था. इसके साथ ही उसके पास अदालत जाने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं थी. जिसके बाद ताज ने इस फैसले को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
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