Pakistani Refugee Story: सिंध से भारत आए शरणार्थियों की कहानी, उन्हीं की जुबानी
Pakistani Hindu Refugee: मंत्री हरदीप पुरी के ट्वीट के बाद सियासी बवाब मच गया है. VHP कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों का दर्द साझा किया है. हम बता रहे हैं कि उनका हाल कैसा है
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No Basic Facilities: केंद्रीय शहरी एवं आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी के एक ट्वीट ने दिल्ली में सियासत का पारा हाई कर दिया है. पुरी के ट्वीट से दो मंत्रालय आमने-सामने आ गए हैं. इसके बाद विहिप कार्याध्यक्ष आलोक कुमार भी इस सियासी घमासान में कूद पड़े हैं. उनका कहना है कि अभी तक दिल्ली में पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिली हैं. ऐसे में अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों को बसाया जाना निंदनीय है. रोहिग्यां के बाद अब जब पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों की बात उठी है तो एबीपी न्यूज की टीम ने हिंदू शरणार्थी कैंप का दौरा किया. वहां जाकर उनका हालचाल जाना, हम आपको बता रहे हैं कि पाकिस्तानी हिंदु शरणार्थियों की आज भी हालत कैसी है?
एबीपी न्यूज की टीम से यह बोले पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी
जिस कॉलोनी का जिक्र आलोक कुमार ने किया है. एबीपी न्यूज की टीम तत्काल दिल्ली के मजनू का टीला स्थित पाकिस्तानी हिंदू के शरणार्थी कैंप पहुंची. यहां देखा कि अभी कुछ ही मकान पक्के बने हुए हैं. ज्यादातर मकान अभी भी कच्चे ही हैं. टॉयलेट जैसी मूलभूत सुविधाएं यहां से नदारद हैं. इनमें ज्यादातर शरणार्थी पाकिस्तान के सिंध इलाके से 2011 में यहां आकर बसे हैं.
पाकिस्तानी शरणार्थी चंद्रमा ने कहा कि यहां सब जंगल था, धीरे-धीरे घर बनाया. अभी तक हमें घर नहीं मिला है. बस आस लगा कर बैठे हैं. बोला गया था कि नागरिकता मिलेगी, वो भी नहीं मिली. दूर देश से आए हैं, कुछ नहीं हुआ. घर हो, बिजली हो, गैस हो, हमें तो यही चाहिए बस. कई बार इन झुग्गियों में आग भी लग गई थी. एक बार पक्का घर मिल जाए तो आग भी नहीं लगेगी.
शिविर में रह रहे अमरलाल ने कहा कि आठ साल हो गए यहां आए हुए. 5 से 6 साल तक तो बिजली ही नहीं थी. कुछ दिन पहले ही बिजली की आपूर्ति शुरू हुई है. कई लोगों को 12-13 साल हो गए हैं. यहां सुविधा के लिए ही आए थे. हमको सुविधाएं मिलनी चाहिए. चंदर ने कहा कि सरकार सुविधा देती है तो अच्छा होगा. यमुना के बगल में रहते हैं. यहां बाढ़ का खतरा रहता है. डेंगू मलेरिया जैसी बीमारियों से बच्चे परेशान रहते हैं. सरकार घर देगी तो अच्छा रहेगा. रोहिंग्या को घर मिल रहा है तो हमें भी मिलना चाहिए. पाकिस्तानी शरणार्थियों को भी घर मिलना चाहिए.
पाकिस्तानी महिला शरणार्थी ने कहा कि घर के इंतजार में आठ साल बीत गए हैं. हमें पक्का घर मिलना ही चाहिए. सोनालाल ने कहा कि हम यहां पर पासपोर्ट और जरूरी कागजात लेकर आए थे. यहां कानूनी तरीके से ही आए हैं. सरकार को कई बार बोला कि नागरिकता मिलनी चाहिए. लेकिन कुछ नहीं हुआ. सरकार को लगता होगा कि रोहिंग्या को ज्यादा दिक्कत हो रही है. हमें कोई दिक्कत नहीं है. इसलिए सरकार उनको दे रही है. सरकार को सोचना चाहिए की वहां से हिंदू आएंगे तो कहां जाएंगे. जबकि सरकार घुसपैठियों को घर दे रही है. लेकिन हम जो कानूनी तरीके से आए, हमको कुछ नहीं. कीचड़ में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं.
हरदीप सिंह पुरी ने यह किया था ट्वीट
हरदीप पुरी ने ट्वीट कर लिखा था कि भारत ने हमेशा उनका स्वागत किया है, जिन्होंने देश में शरण मांगी है. रोहिंग्याओं को दिल्ली के बक्करवाल इलाके में EWS फ्लैट्स में बसाया जाएगा. दिल्ली में रहने वाले 1100 रोहिंग्या शरणार्थियों को दिल्ली के बक्करवाल इलाके में EWS फ्लैट में बसाया जाएगा. हालांकि इसके बाद गृह मंत्रालय ने सफाई देते हुए कहा कि मंत्रालय ने रोहिंग्या को EWS फ्लैट्स में बसाने का कोई निर्देश नहीं दिया है. अब इस मामले में विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने हरदीप पुरी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में कई सालों से बसे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को अभी तक जरूरी व्यवस्थाएं और मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गई हैं. ऐसे में अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों को दिल्ली में बसाया जाना निंदनीय है.
हरदीप पुरी के ट्वीट के बाद यह बोला गृह मंत्रालय
गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि दिल्ली सरकार ने प्रस्ताव दिया था कि रोहिंग्याओं को नई लोकेशन पर शिफ्ट किया जाए. इस पर गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि रोहिंग्याओं को मौजूदा लोकेशन कंचन कुंज (मदनपुर खादर) में ही रखा जाए. निर्वासित किए जाने तक अवैध विदेशियों को डिटेंशन सेंटर्स में ही रखा जाएगा. लेकिन दिल्ली सरकार ने अब तक मौजूदा लोकेशन को डिटेंशन सेंटर घोषित ही नहीं किया है. उन्हें तत्काल डिटेंशन सेंटर घोषित करने के निर्देश दिये गए हैं. यह पूरा मामला केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के ट्वीट के बाद चर्चा में आया है.
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