Terrorist Babar Confession: भारतीय सेना ने पाकिस्तानी आतंकी अली बाबर पात्रा का कबूलनामा और भारतीय मीडिया के सवाल-जवाब के दौरान तैयार किया 12 मिनट का वीडियो जारी किया है. मंगलवार को उरी मिलिट्री-गैरिसन में सेना ने अली बाबर को एबीपी न्यूज सहित बाकी नेशनल और रिजिनल मीडियाकर्मियों के सामने पेश किया था. अली बाबर की मीडिया-कॉन्फ्रेंस की ट्रांस्क्रिप्ट यहां मौजूद है. खास बात ये है कि अली बाबर भी पाकिस्तान के उसी ओकारा जिले का रहने वाला है, जिसका मुंबई के 26/11 हमले का गुनहगार अजमल आमिर कसाब रहने वाला था.


आतंकी अली बाबर पात्रा का कबूलनामा


"अस्सलामुअलैकुम वारहमतुल्लाह वबरकतुह, मेरा नाम अली बाबर है और जो एंट्री कार्ड में नाम है वो इम्दादुल्लाह है.  मेरी उमर 18 साल है और मैं दीपालपुर, जिला ओकारा, पंजाब, पाकिस्तान का रहने वाला हूं.  मेरे वालिद का नाम मोहम्मद लतीफ है और वालीदा का नाम शमीमा बीबी है. मेरी एक बड़ी बहन भी है, जिसका नाम समायरा है.  साल 2014 में, मेरे अब्बा की मौत हुई थी और तब घर की माली हालत ठीक न होने की वजह से मुझे पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी."



ट्रेनिंग में 8 लोग और थे शामिल


अली बाबर पात्रा ने आगे कहा- "माली हलत ठीक ना थी इसलिए मैं चला गया सियालकोट, कपड़ों की फैक्ट्री में काम करने. वहां मेरी मुलाकत अनस से हुई. अनस लश्कर और आईएसआई के लिए बंदे इक्काता करता था.  क्योंकि मैं मजबूर था और मुझे पैसे भी चाहिए थे, इसलिए मैं उसके साथ चला गया. उसने मुझे 20,000 रुपये दिए और 30,000 रुपये बाद में देने का वादा किया. वहां पर वो आईएसआई और लश्कर के लिए बंदे इकट्ठा करता था और काम करता था. उसने मुझे आईएसआई के हवाला किया और आईएसआई ने पाकिस्तान आर्मी के. पाकिस्तान आर्मी ने मेरी ट्रेनिंग करवाई कैंप खैबर दिल्लीबीबुल्लाह में.  ट्रेनर का नाम अबू हंजला था, जो कि पाकिस्तान आर्मी का रिटायर्ड सूबेदार था.  ट्रेनिंग मे हमारी एके 47 को खोलने जोड़ने, ग्रेनेड फायर करना और वर्जीश करवाई. मेरे साथ 8 और लोग थे जिन्हेंने ट्रेनिंग की. हमारी ट्रेनिंग मुकम्मिल होने के बाद हमारी सबकी फोटो लश्कर-ए-तैयबा कमांडर के पास भेजे और उसमें से मुझे चुना. हमें अपने पास बुलाकर नक्शा बनवाया बारामूला/पत्तन का और बाद में हमें पाकिस्तान सेना के शेर कैंप लाया गया जहां पर हम एके 47, ग्रेनेड और बाकी असलहा और बरूद दिया गया."


इंडियन आर्मी ने हमें घेर लिया


" 18 सितंबर की रात को हमने तार काटी.  मैं और अनस सबसे पहले अंदर आए. जैसे ही हम अंदर आए हमारा मुकाबला इंडियन आर्मी की गश्त से हुआ था. हम घबरा गए और बाकी 4 वापस भाग गए. हम दोनों भी जाना चाहते थे पर इंडियन आर्मी ने हमें घेर लिया था और सरेंडर करने को कहा. अनस ने इंडियन आर्मी प्रति फायर किया और उनका जवान घायल किया.  इंडियन आर्मी ने जबाव करवाई में अनस को मार गिराया.  इंडियन आर्मी ने मुझे दोबारा सरेंडर करने को कहा और में मान गया. इंडियन आर्मी ने मेरा सरेंडर करवाया, मुझे बिलकुल भी मारा पीट नहीं बल्कि गरम पानी, चाय और खाना दिया. मुझे अपने भाई जैसा रखा और सारे हक दिए जैसे नमाज पढ़ना और खाना खाना."


बाबर ने आगे कहा- "हमें भी पढ़ाया पाक आर्मी और लश्कर से कश्मीर को लेकर. वो बिलकुल गलत था और बिलकुल झूठ था. सरेंडर के बाद मुझे जब गाड़ी में किसी बाजार के बीच से लाया गया, तो मैंने वहां पर भीड़-भाड़ और चहल पहल करते हुए लोग देखे, जिसे मुझसे लगता है कि यहां पर खुशहाली और शांति है. जब से मैं इस कैंप में आया हूं, मुझे दिन में पांच बार नमाज की आवाज लाउड स्पीकर पर सुनायी देता है. मैंने देखा है की इस कैंप के अंदर जो भी लोग आते हैं, यहां पर उनके साथ बहुत अच्छा सलूक किया जाता है, जो कि पाकिस्तान में होने वाले सालूक के बिल्कुल उल्टा है. इससे पता चलता है की कश्मीर में अमन और शांति का माहौल है. पाकिस्तान के कश्मीर में हमारी मजबूरी का फायदा उठाकर हमें यहां भेजा जाता है."


पाक आतंकी ने आगे कहा- "पाकिस्तानी सेना, आईएसआई, लश्कर कश्मीर को लेकर हम गलत बताते हैं कि यहां भारतीय सेना खून खराबा कर रही है, पर यहां सब अमन और चैन है, सब बराबर है. मैं अपनी अम्मी को ये बताना चाहता हूं की यहां पर इंडियन आर्मी ने मेरा बहुत अच्छा ख्याल रखा और मेरे साथ बहुत अच्छा सलूक किया, अच्छा खाना दिया, आराम से रखा. मुख्य लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर, आईएसआई और पाकिस्तान सेना से ये गुजारिश करता है की जिस तरह मुझे यहां भेजा था, उसी तरह मुझे जल्दी से अपनी अम्मी के पास वापस भेज दें."


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