Terrorist Tabrak Haussain: सुरक्षा एजेंसियों (Security Agencies) की पूछताछ में पाकिस्तानी फिदायीन आतंकी (Pakistani Terrorist) तबरक हुसैन (Tabrak Hussain) ने बताया कि उसे एलओसी (LoC) पर भारतीय सेना (Indian Army) की पोस्ट (चौकी) पर हमला करने के लिए पाकिस्तानी सेना (Pakistan Army) से 30 हजार रुपये मिले थे. तबरक ने बताया कि उसे ये पैसे पाकिस्तान इंटेलीजेस एजेंसी (Intelligence Agencies) के कर्नल यूनुस चौधरी (Yunus Chaudhary) ने दिए थे.
तबरक हुसैन इस वक्त भारतीय सेना के हॉस्पिटल में इलाज के लिए भर्ती है. 21 अगस्त को पीओके से भारत के नौशेरा सेक्टर में घुसपैठ के दौरान भारतीय सेना की गोली उसे लग गई थी. भारतीय सेना की गोलीबारी में तबरक के दो साथी वापस पीओके यानी पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर भाग खड़े हुए थे. भारतीय सेना के डॉक्टर्स ने इलाज के दौरान तबरक को ब्लड भी मुहैया कराया.
2016 में भी गिरफ्तार हो चुका तबरक
भारत में आत्मघाती हमला करने आए एक आतंकी को सेना ने एलओसी पर हुई मुठभेड़ के बाद धर-दबोचा. एलओसी के नौशेरा सेक्टर में हुई इस मुठभेड़ में पाकिस्तानी आतंकी तबरक हुसैन घायल हो गया. खास बात ये है कि तबरक हुसैन दूसरी बार भारत में धर-दबोचा गया है. इससे पहले 2016 में भी उसे गिरफ्तार किया गया था और 26 महीने की जेल काटने के बाद पाकिस्तानी सरकार को सौंप दिया गया था.
गोली लगने के बाद घायल हुआ तबरक
रविवार को जब भारतीय सेना ने तबरक हुसैन को नौशेरा सेक्टर में घुसपैठ करते हुए धर-दबोचा तो वो जोर-जोर से चिल्लाने लगा कि वो यहां मरने के लिए आया था. भारतीय सेना की गोली लगने से तबरक घायल हो गया था. पकड़े जाने के वक्त वो ड्रग्स की डोज़ भी लिए हुए था. सूत्रों के मुताबिक, जांच में पाया गया कि उसने हाल ही में अपने शरीर के सीने, बगल और प्राईवेट पार्ट्स के बाल शेव करवाए थे. ऐसा इस्लामिक जेहादी आत्मघाती हमले से पहले करता हैं.
दो साथियों के साथ तबरक की सीमा पर घुसपैठ
जानकारी के मुताबिक, तबरक हुसैन की उम्र करीब 26 साल है और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के कोटली इलाका का रहने वाला है जो लाइन ऑफ कंट्रोल यानि एलओसी से सटा इलाका है. अप्रैल 2016 में भी तबरक हुसैन ने अपने दो साथियों के साथ नौशेरा सेक्टर से ही घुसपैठ करने की कोशिश की थी. उस वक्त तबरक और उसका साथी हारून अली (निवासी, कोटली, पीओके) गिरफ्तार कर लिए गए थे. लेकिन उनका तीसरा साथी पीओके वापस भागने में कामयाब हो गया था.
घुसपैठ से पहले मिली थी ट्रेनिंग
गिरफ्तार होने के बाद पता चला तबरक हुसैन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी, आईएसआई के लिए काम करता था और पाकिस्तानी सेना की इंटेलीजेंस यूनिट में दो साल काम कर चुका था. उसनें आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के भिंबर कैंप में छह महीने के लिए गाइड बनने की ट्रेनिंग भी ली थी. दरअसल, आईएसआई और लश्कर ए तैयबा एलओसी से सटे पीओके के इलाकों में रहने वाले युवकों को आतंकियों की घुसपैठ कराने के लिए गाइड बनाने की ट्रैनिंग देते हैं. इसके अलावा तबरक को भारतीय सेना की संवदेनशील जानकारी इकठ्ठा करने और पकड़े जाने पर मनगंढंत कहानी बनाने में भी ट्रेन्ड किया गया था.
सुसाइड मिशन के लिए भारत में घुसपैठ
तबरक (Tabrak) और उसके साथी हरून अली (Harun Ali) को 26 महीने भारत (India) की जेल में काटने के बाद पिछले साल अटारी-वाघा बॉर्डर (Atari Bagha Border) के जरिए पाकिस्तानी सरकार (Pakistani Government) को सौंप दिया गया था. लेकिन रविवार को एक बार फिर वो सुसाइड-मिशन के लिए भारत (India) में घुसपैठ करने के लिए नौशेरा सेक्टर (Naushera Sector) पहुंच गया. इस बार वो भारतीय सेना (Indian Army) की गोली से घायल भी हो गया. गोली लगने के बाद वो चिल्लाने लगा कि मैं यहां मरने के लिए आया था, मुझे धोखा दे दिया, भाईजान मुझे यहां से निकाल लो. खास बात ये है कि तबरक का भाई, मोहम्मद सईद भी दिसम्बर 2021 में नौशेरा सेक्टर में घुसपैठ के दौरान गिरफ्तार किया गया था.
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