संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की आईएसआईएल और अलकायदा प्रतिबंध समिति ने सोमवार को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के मौजूदा नेता अब्दुल रहमान मक्की को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया है. दरअसल मक्की का नाम संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आतंकवादी की सूची में शामिल किया गया है.
इस लिस्ट में किसी भी व्यक्ति या संस्था का नाम तब शामिल किया जाता है जब उसके आतंक से जुड़ी गतिविधियों के पुख़्ता सबूत मौजूद हों. वैश्विक आतंकवादी की लिस्ट में नाम दर्ज किए जाने वाले व्यक्ति या संस्था की संपत्ति फ्रीज कर दी जाती है. इसके अलावा उस व्यक्ति के यात्रा पर बैन भी लगाया जाता है और उन्हें किसी भी तरह के हथियार की उपलब्धता पर रोक लगा दी जाती है.
दरअसल इससे एक बार पहले भी यानी पिछले साल 2022 के जून महीने में अमेरिका और भारत ने अब्दुल रहमान मक्की को वैश्विक आतंकवादी के लिस्ट में शामिल करने का प्रस्ताव रखा था. उस वक्त चीन ने वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए 'टेक्निकल रोक' लगाई थी, लेकिन इस बार चीन को भी ये रोक हटानी पड़ी. उसे वापस लेने के बाद, अब मक्की का नाम इस सूची डाल दिया गया.
पाकिस्तानी आतंकवादियों का चीनी कनेक्शन
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने के नाते चीन के पास किसी भी प्रस्ताव पर रोकने की ताकत है. वह वीटो पावर लगाकर प्रस्ताव रोक सकता है. चीन ने पहले भी कई बार इस ताकत का इस्तेमाल किया है और समय-समय पर 'पाकिस्तान के पक्ष' में फैसले देता रहा है.
कब-कब चीन ने लिया पाकिस्तान का पक्ष
- मसूद अजहर- चीन ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मसूद अजहर को 'वैश्विक आतंकवादी' घोषित करने के प्रस्ताव पर चार बार रोक लगाई थी. उस वक्त उसके खिलाफ पाकिस्तानी पंजाब स्थित बहावलपुर से आतंकी गतिविधि के पर्याप्त सबूत थे. इसके अलावा भारत में कई हमलों के पीछे भी उसके हाथ होने का सबूत था. लेकिन इसके बाद भी चीन ने वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए उन्हें वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव पर चार बार रोक लगाई और पांचवीं बार इसे पारित होने दिया.
- हाफ़िज़ मोहम्मद सईद और ज़की-उर-रहमान लखवी - ऐसा ही कुछ जमात-उद-दावा और लश्कर-ए-तैयबा के लीडर हाफिज मोहम्मद सईद के साथ अपनाया गया. उस वक्त भी सईद वैश्विक आतंकवादी ठहराने का प्रस्ताव लाया गया था लेकिन चीन इसके आड़े आता रहा. चीन ने सईद के अलावा उसके सहयोगी ज़की-उर-रहमान लखवी को भी बचाने के कोशिश की लेकिन पांचवीं बार प्रस्ताव लाए जाने के बाद चीन को पीछे हटना पड़ा और उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया गया.
- अब्दुल रऊफ अजहर- साल 2022 के अप्रैल महीने में भारत और अमेरिका ने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर को यूएन की तरफ से प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव रखा था जिसे चीन के दांव की वजह से पारित नहीं कराया जा सका.
- शाहिद महमूद- लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर शाहिद महमूद को वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने के प्रस्ताव को चीन ने चार बार रोका.
कौन है अब्दुल रहमानी मक्की
अब्दुल रहमानी मक्की 26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के आतंकी संगठन जमात-उद-दावा का सदस्य है. भारत और अमेरिका में पहले ही मक्की को वैश्विक आतंकी घोषित किया जा चुका है.
भारत बीते साल यूएन में एक प्रस्ताव भी लाया था, जिससे मक्की को वैश्विक आतंकी घोषित किया जा सके, लेकिन चाइना ने हमेशा की तरह अड़ंगा लगाने का काम किया. जिसके बाद उसे वैश्विक आतंकी घोषित नहीं किया जा सका था.
बताया जाता है कि कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम देने में भी मक्की का हाथ रहा है. इसके साथ ही मक्की भारत के खिलाफ आतंकियों को तैयार भी करता है. मक्की युवाओं को हिंसा के लिए कट्टरपंथी बनाता है और उन्हें भड़काता है.
मुंबई ब्लास्ट में भी थी महत्वपूर्ण भूमिका
मक्की हाफिज सईद का सबसे खास रिश्तेदार है जो कि उसके काले खेल में हमेशा वफादारी से साथ देता है. मुंबई ब्लास्ट में मक्की ने महत्वपूर्ण रोल निभाया था. वह अमेरिका द्वारा नामित विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) लश्कर के भीतर विभिन्न नेतृत्व भूमिकाएं निभा रहा है. इससे पहले उसने लश्कर के अभियानों के लिए धन जुटाने में भी भूमिका निभाई है.
भारत ने किया फैसले का स्वागत
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के इस कदम का स्वागत किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 आईएसआईएल (दाएश) और अलकायदा प्रतिबंध समिति मक्की को आतंकवादियों की लिस्ट में शामिल किया. उनके इस फैसला का हम स्वागत करते हैं.
बागची ने कहा कि अब्दुल रहमान मक्की हाफिज सईद (लश्कर-ए-तैयबा के नेता ) का साला भी है. वह आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए फंड जुटाने में भी बड़ी भूमिका निभाता रहा है.
क्या है वीटो पावर
वीटो लैटिन भाषा का एक शब्द है जिसका मतलब होता है 'मैं अनुमति नहीं देता हूं'. यह विशेषाधिकार संयुक्त राष्ट्र संघ की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस,रूस, यूके और अमेरिका को मिला हुआ.
आसान भाषा में समझे तो यूएनएससी में जब भी कोई प्रस्ताव लाया जाता है तो स्थायी सदस्यों में से कोई भी सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पावर का इस्तेमाल करके उस फैसले को रोक सकता है. यही कारण है कि चीन बार बार इस ताकत का इस्तेमाल कर UNSC में भारत के प्रस्ताव को खारिज है. इसलिए भारत लगातार मांग करता रहा है कि उसे स्थानीय सदस्य बनाया जाए.
पांच स्थायी सदस्यों में कौन-कौन?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद 15 सदस्यों से बना है, जिनमें पांच स्थायी सदस्य देश- चीन, फ्रांस, रूस, अमेरिका और ब्रिटेन शामिल हैं. इसके अलावा 10 गैर-स्थायी सदस्य देश हैं, जो संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से चुने जाते हैं. संरचनात्मक रूप से, परिषद में 1946 में गठन के बाद से कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. सुधारों की जरूरत को लेकर सदस्य देशों के बीच बहस होती रही है.
क्या है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC)
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) के 6 प्रमुख हिस्सों में से एक है. इस परिषद का मुख्य काम दुनियाभर में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ में नए सदस्यों को जोड़ना और इसके चार्टर में बदलाव से जुड़ा काम भी सुरक्षा परिषद के काम का ही हिस्सा है. यूएनएससी दुनियाभर के देशों में शांति मिशन भेजता है. और अगर दुनिया के किसी हिस्से में मिलिट्री एक्शन की जरूरत होती है तो सुरक्षा परिषद रेजोल्यूशन के जरिए उसे लागू भी करता है.