नई दिल्लीः पाकिस्तान से अमेंस्टी स्कीम के तहत वापस लौटे कश्मीरी युवाओ के साथ उनके परिवार भी लौटे थे. स्कीम के तहत इनको वापस आकर फिर से बसाने का वादा किया गया था. लेकिन 18 साल के बाद अब वापस लौटे लोग इस आम माफ़ी को सजा मान रहे हैं. वजह - ना तो वादा ही पूरा हुआ, ना ही रोज़गार मिला और ना ही पासपोर्ट. सब से बुरा हाल उन पाकिस्तानी महिलाओं का है जो ना वापस लौट सकती हैं ना यहां रह सकती हैं.
36 साल की पाकिस्तान निवासी तोइबा जो पाकिस्तानी कश्मीर के एबटाबाद की रहने वाली हैं और इनकी शादी एक कश्मीरी से हुई, लेकिन पाकिस्तानी कश्मीर में 2009 में जम्मू-कश्मीर सरकार की माफी स्कीम के तहत ये नेपाल के रास्ते वापस लौट आए. यह कहानी केवल तोइबा की ही नहीं बल्कि ऊन सैकड़ों पाकिस्तानी महिलाओं की है जो सरहद पार करके गए कश्मीरी युवाओं के साथ शादी करके वापस लौटी और अब कश्मीर में अपने आप को कैद महसूस करती हैं. इन की कहानी यह है कि इन्होंने ना तो बन्दूक उठाई ना ही कोई गलत काम किया, लेकिन इसके बावजूद ना तो उनको पासपोर्ट मिले या फिर उनको वापस डिपोर्ट किया गया. इस तरह ये महिलाएं पिछले 10 सालों से सजा काट रही हैं.
जम्मू कश्मीर सरकार की रिहैबिलिटेशन पॉलिसी के मुताबिक लौटे थे लोग
जम्मू कश्मीर सरकार की रिहैबिलिटेशन पॉलिसी के मुताबिक पाकिस्तान से वापस लौटने वाले ऐसे कश्मीरी लडकों को मुख्यधारा में बसाने की बात थी जिन्होंने हथियार नहीं उठाए थे. इस स्कीम के तहत करीब 500 युवा वापस लौटे और उनके साथ उनके बीवी बच्चे भी वापस आए. लेकिन आज वो लोग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं- क्योंकि इनको ना तो बसाया गया, ना नौकरी मिली और ना ही अब पासपोर्ट दिया जा रहा है.
इसीलिए ज्यादातर पाकिस्तानी महिलाएं वापस भेजे जाने की मांग कर रही है. इन महिलाओं को पाकिस्तानी बताया जाता है और इनके पाकिस्तानी पासपोर्ट पुलिस ने ज़ब्त किये हुए हैं और हिन्दुस्तानी पासपोर्ट इनको मिल नहीं सकता. सभी महिलाओं की एक ही मांग है कि प्रधानमंत्री बेटी बचाओ की बात करते हैं. बेटी बेटी होती है-हिन्दू मुस्लिम नहीं, हिन्दुस्तानी या पाकिस्तानी नहीं. इसी नाते प्रधानमंत्री मोदी और पाकिस्तानी प्रधान मंत्री इमरान खान से ये बेटियां अपने मायके और मायके वालो से इस दूरी को ख़त्म करने की मांग कर रही हैं.
इतना ही नहीं अपने पीहर से आई यह महिलाएं अब कई मानसिक रोगों का शिकार हो रही हैं. सब से ज्यादा प्रभावित वह महिलाएं हैं जिन का या तो तलाक हुआ है या फिर पति को खो चुकी हैं. ऐसी महिलाओं की मांग है कि इंसानियत के नाते या तो उनको वापस भेजा जाए या फिर पासपोर्ट दिया जाए क्योंकि वह भारत आने के जुर्म की अधिकतम सजा से भी ज्यादा भुगत चुकी हैं.