Pakistan Cabinet Support Bilawal Bhutto: पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के शर्मनाक बयान के बाद अब पाकिस्तान की ओर से एक और गैर-जिम्मेदाराना कदम उठाया गया है. पीएम मोदी (PM Modi) को लेकर आपत्तिजनक बयान देने वाले बिलावल भुट्टो (Bilawal Bhutto) के बयान को पाकिस्तान (Pakistan) की कैबिनेट ने भी शह दी है. पाकिस्तान के पीएम और पूरी कैबिनेट ने पीएम मोदी पर बिलावल की टिप्पणी का समर्थन किया है.  


बिलावल भुट्टो ने पीएम नरेंद्र मोदी को "गुजरात का कसाई" कहा था. पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा था कि ओसामा बिन लादेन मर गया है, लेकिन गुजरात का कसाई अभी भी जीवित है. बिलावल भुट्टो का ये बयान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की ओर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में आतंकवाद को समर्थन देने को लेकर पाकिस्तान पर तीखा हमला करने के बाद आया था. 


अपने बयान पर अड़े बिलावल भुट्टे


पीएम मोदी को लेकर दिए गए आपत्तिजनक बयान पर बिलावल अड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि मैंने कुछ गलत नहीं बोला है. उन्होंने ट्वीट किया कि ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में मेरे बोलने और उन्हें अतीत की याद दिलाने के लिए भारत में सत्तारूढ़ बीजेपी के एक सदस्य ने मेरे सिर पर इनाम रखा है. 


भारत ने दिया था करारा जवाब


पाकिस्तान के विदेश मंत्री के इस बयान पर भारत की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया दी गई थी. शुक्रवार (16 दिसंबर) को विदेश मंत्रालय ने बिलावल की टिप्पणियों को अभद्र बताया और कहा कि यह बयान पाकिस्तान के लिए भी और निचले स्तर का है. बिलावल की टिप्पणियों की कड़ी निंदा करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि अच्छा होता कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री अपनी कुंठा अपने देश में आतंकवादी संगठनों के मुख्य षड्यंत्रकर्ताओं पर निकालते, जिन्होंने आतंकवाद को देश की नीति का एक हिस्सा बना दिया है. 


पाकिस्तान हाई कमीशन के पास किया था प्रदर्शन


अरिंदम बागची ने कहा था कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो ओसामा बिन लादेन का एक शहीद के रूप में महिमामंडन करता है और (जकीउर रहमान) लखवी, हाफिज सईद, मसूद अजहर, साजिद मीर व दाऊद इब्राहिम जैसे आतंकवादियों को पनाह देता है. बीजेपी नेताओं ने दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमीशन के पास जोरदार प्रदर्शन भी किया था और बिलावल भुट्टो (Bilawal Bhutto) का पुतला फूंका था.


ये भी पढ़ें- 


Parliament Winter Session: सरकार ने संसद में दिया जवाब- आजादी के बाद से जातिवार जनगणना नहीं की गई, ये थी वजह