पालघर मामला: साधुओं की हत्या पर धर्म आचार्य सभा ने राज्यपाल को लिखी चिट्ठी, जांच के तरीके पर उठाए सवाल
चिट्ठी में पालघर में साधुओं की हत्या की घटना की कठोर शब्दों में निंदा की गई है. इसमें कहा गया है कि सुनियोजित षड्यंत्र के जरिए हिंदू धर्म संस्कृति पर प्रहार किया गया है.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पालघर में हुई जूनागढ़ अखाड़े के दो साधुओं की हत्या की धर्म आचार्य सभा ने निंदा की. धर्म आचार्य सभा ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को चिट्ठी लिखकर कार्रवाई की मांग की है. चिट्ठी में जूनागढ़ अखाड़े के प्रमुख अवधेशानंद जी, जगतगुरु स्वामी निर्मलानंद जी महाराज, अखिल भारतीय संत समिति के प्रमुख अविचलदास जी महाराज, पतंजलि योगपीठ के प्रमुख बाबा रामदेव और गायत्री परिवार के प्रमुख प्रणव पंडया सहित देश के सिर्फ 16 प्रमुख संतों के हस्ताक्षर हैं.
चिट्ठी में लिखा गया है विगत 16 अप्रैल की रात्रि को पालघर महाराष्ट्र में दो सन्यासी संतोष स्वामी कल्प वृक्ष गिरी जी और स्वामी सुशील गिरी जी और उनके वाहन चालक की बर्बरतापूर्वक हत्या की इस ऐतिहासिक घटना से संपूर्ण मानवीय सभ्यता समाज विशेषता सभी संप्रदायों के संत सर्वाधिक मर्म आहत हैं. आचार्य सभा कठोर शब्दों में इस निंदनीय कृत्य की भर्त्सना करती है. पालगढ़ क्षेत्र की पृष्ठभूमि पर दृष्टि डालने पर पांच बिंदु उभर कर आते हैं.
पहला बिंदु है- इस आदिवासी क्षेत्र में नागरिकता संशोधन एक्ट का सर्वाधिक विरोध हुआ था. दूसरा बिंदु है- इसी क्षेत्र में गत दिसंबर माह में 12 अवैध बांग्लादेशी और इस साल फरवरी महीने में 23 अवैध बांग्लादेशी नागरिक पकड़े गए थे. तीसरा बिंदु है- घृणा फैलाने वाली विचारधारा का बहुल क्षेत्रों में सनातन धर्म और परंपराओं के घोर विरोध में उत्तेजक और आक्रामक बीज बोए गए हैं. चौथा है- विश्व बंधुत्व वसुधैव कुटुंबकम और आतंकवाद सर्वभूतेषु जैसे दिव्य भाव रखने वाले पूज्य साधु-संतों के प्रति क्षेत्र में प्रायः शत्रुता पूर्वक व्यवहार रहता है. पहले भी अनेक संत यहां के लोगों के दुर्व्यवहार से पीड़ित और प्रताड़ित हुए हैं. पांचवा है- यहां हिंदू बाहुल्य गांव भी अनेक बार जलाए गए हैं.
चिट्ठी में आचार्य सभा की ओर से लिखा गया है कि संतों की हत्या की यह घटना क्षणिक आवेग में अप्रत्याशित रूप से नहीं घटी है. यह घटना पूर्व सुनियोजित षड्यंत्र के द्वारा ही हिंदू धर्म संस्कृति पर भीषण प्रहार किया गया है और ऐसा ही हमारा मानना है.
चिट्ठी में आगे लिखा गया है कि जब इस घोर जघन्य हत्या अपराध के वीडियो सोशल मीडिया में प्रसारित हुए और संत समुदाय व संपूर्ण हिंदू समुदाय में भारी उत्तेजना फैली तब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य विभूतियों ने संज्ञान लेकर महाराष्ट्र सरकार पुलिस प्रशासन से गंभीर संवाद किए और इस संज्ञान के परिणाम स्वरूप कुछ लोगों की गिरफ्तारी हुई. लेकिन आज भी पुलिस, अन्य विभागों के कर्मचारी और अन्य कुछ लोगों पर कानून के अंतर्गत मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है. इससे संदेहास्पद बिंदु यह है कि जो वीडियो में कुछ नाम स्पष्ट सुनाई दे रहे हैं, वे नाम सरकार की सूची से बड़े चतुरता पूर्वक लापता किए गए हैं या हटा दिए गए हैं.
इस चिट्ठी में जूना अखाड़े के प्रमुख स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज, जगतगुरु स्वामी निर्मलानंद जी महाराज, संत समिति के प्रमुख अविचल आनंद जी महाराज, स्वामी बाबा रामदेव, गायत्री परिवार के प्रमुख प्रणव पांड्या, वीरशैव संप्रदाय के प्रमुख जगद्गुरु शिवरात्रि जी महाराज, सन्यास आश्रम के प्रमुख महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वर आनंद जी महाराज, वृंदावन के ज्ञानानंद जी महाराज, कृष्ण प्रणामी संप्रदाय जामनगर के प्रमुख कृष्णा मणि जी महाराज, स्वामीनारायण संप्रदाय के प्रमुख श्री माधव प्रिय दास जी महाराज, चंपारण्य पीठ के प्रमुख द्वारकेश लालजी महाराज, पद्मावती की प्रमुख सद्गुरु ब्रह्मेशनंदचार्य जी महाराज, निर्मल पंचायती अखाड़े के प्रमुख महेंद्र स्वामी ज्ञान देव सिंह जी महाराज, भोमा पूरा अधिगम के प्रमुख सिवागनाना बलाया स्वामी गल जी महाराज और हिंदू धर्म आचार्य सभा के संयोजक स्वामी श्री परमानंद सरस्वती जी महाराज के हस्ताक्षर हैं. दो पेज का खत लिखते हुए देश के प्रमुख साधु संतों द्वारा घटना पुलिस प्रशासन के जांच के तरीके पर सवाल उठाते हुए कड़ी निंदा और कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है.
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