भारत के हाथ लगेगा पनामा पेपर्स लीक का काला चिट्ठा! मध्य अमेरिकी देश देगा अहम जानकारी, विदेश मंत्री तेवानी ने दिया भरोसा
पनामा पेपर्स लीक के बाद भारत ने भारतीय नागरिकों से जुड़े खातों की जांच के लिए सीबीडीटी, प्रवर्तन निदेशालय, एफआईयू और भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों की एक समिति का गठन किया था.
Panama Papers Leak Case: मध्य अमेरिकी देश पनामा ने 2016 के पनामा पेपर्स लीक मामले की जांच में भारत का सहयोग करने के लिए हामी भर ली है. इस मामले में विभिन्न भारतीय हस्तियों और बिजनेस टाइकून की पहचान शामिल है. पनामा की विदेश मंत्री जनैना तेवानी ने TOI को बताया कि उनका देश भारत को सूचना देने और अपनी वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता में सुधार के लिए हुई प्रगति के बारे में भारतीय अधिकारियों को बताने के लिए तैयार है.
काले धन के खिलाफ भारत के अभियान की सराहना करते हुए मंत्री ने कहा कि उन्होंने इस हफ्ते की शुरुआत में एक बैठक में एस जयशंकर (भारत के विदेश मंत्री) को इसकी सूचना दी थी. ध्यान देने वाली बात है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब मध्य अमेरिकी देश ने पनामा में उच्च स्तरीय जांच के लिए सार्वजनिक गारंटी दी है. इसके बारे में सरकार का दावा है कि पनामा और पैराडाइज पेपर लीक में 20,353 करोड़ रुपये के छिपे हुए क्रेडिट का पता चला है.
उन्होंने कहा, "हमारे लिए सूचनाओं का आदान-प्रदान अब हमारी वास्तविकता का एक हिस्सा है. हम पारदर्शिता मानकों को पूरा करने के लिए प्रयास कर रहे हैं जो विकसित देश भी नहीं कर रहे हैं. हम भारत से सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं."
देश को झकझोर देने वाला पनामा पपर्स लीक केस
बता दें कि 2016 के पनामा पेपर्स लीक के बाद भारत ने भारतीय नागरिकों से जुड़े खातों की जांच के लिए सीबीडीटी, प्रवर्तन निदेशालय, एफआईयू और भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों की एक बहु-एजेंसी समिति का गठन किया था. दिसंबर 2021 में सरकार ने संसद को सूचित किया कि 1 अक्टूबर, 2021 तक पनामा और पैराडाइज पेपर में भारत से जुड़े 930 संगठनों के संबंध में कुल 20,353 करोड़ रुपये के छिपे हुए क्रेडिट पाए गए हैं.
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