उत्तराखंड: सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद हर क्षेत्र में इसका असर देखने को मिल रहा है. ऐसे में उत्तराखंड के हरिद्वार में पूजा-पाठ और कर्मकांड कराने वाले पंडितों पर भी नोटबंदी का असर देखने को मिल रहा है. हरिद्वार में इन दिनों कर्मकांड कराने वाले पंडित श्रद्धालुओं को दक्षिणा का हिसाब किताब लिखकर बाद में पैसा देने के लिए कह रहे हैं. मतलब एक तरह से उधार में दक्षिणा.


हरिद्वार के पंडितों की मुश्किल बढ़ गई है और नोटबंदी के बाद से मंदिरों में चढ़ावा नहीं आ रहा है. वहीं यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी घट गई है, जिसका सीधा असर पंडितों की कमाई पर पड़ रहा है.



हरिद्वार में श्राद्ध और पितृ कर्म में लगे पंडितों को मिलने वाली दक्षिणा भी घट गई है. उनका कहना है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं के पास खुले पैसे नहीं होते.कई लोगों के लिए तो रहना खाना भी मुश्किल हो जाता है ऐसे में इन पंडितों ने अब एक नया रास्ता निकाला है. पंडितों ने अब उधार पर पितृकर्म करना शुरू कर दिया है.


हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित ने कहा, ''हम उनकी पूर्वजों की वंशावली में दक्षिणा लिख लेते हैं और जब उनकी सुविधा हो जाएगी तो हमें दे सकते हैं यानि एक तरह से यात्रियों के लिए हमने उधार की व्यवस्था कर दी है.''


इस तरह से जो श्रद्धालु अभी दक्षिणा नहीं दे पा रहे हैं उनके खाते में उतना पैसा चढ़ा दिया जाएगा और भविष्य में वो या उनके परिवार का कोई सदस्य यहां आएगा तो उनसे पैसे ले लिए जाएंगे. इतना ही नहीं कोई श्रद्धालु चाहे तो चेक या ड्राफ्ट से भी दक्षिणा भिजवा सकता है. पंडितों का तो ये भी दावा है कि कई बार वो श्रद्धालुओँ को अपनी जेब से पैसे द रहे हैं.


कुल मिलाकर नोटबंदी से हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं से लेकर उनके भरोसे कमाई करने वाले पंडितों तक सबकी मुश्किल बढ़ गई है.